माफ नहीं किया जाए कृषि कर्ज : आरबीआई समूह | अनूप रॉय / मुंबई September 13, 2019 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक आंतरिक कार्यबल ने कहा है कि किसानों का कर्ज माफ करने वाली योजनाएं लाने के बजाय कृषि क्षेत्र की व्यवहार्यता एवं संवहनीयता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने पर जोर होना चाहिए। कृषि की हालत सुधारने के बारे में सुझाव देने के लिए गठित इस कार्यबल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकरण की तर्ज पर कृषि क्षेत्र के लिए भी एक संस्थागत ढांचा खड़ा करने की बात कही है। यह अधिकरण कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज की व्यवस्था में सुधार के तरीके बता सकता है।
इसके अलावा सोने के बदले कर्ज दिए जाते समय गहन पड़ताल करने का भी सुझाव देते हुए कार्यबल ने कहा है कि बैंकों का सिस्टम ऐसे कर्ज की शिनाख्त करने लायक बने ताकि उसके इस्तेमाल पर करीबी नजर रखना संभव हो सके। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और इस कार्यबल के प्रमुख एम के जैन ने कहा, 'केंद्र एवं राज्यों की सरकारों को कृषि क्षेत्र के बारे में नीतियां तय करते समय एक समग्र नजरिया अपनाना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें कृषि क्षेत्र को दी जा रही सब्सिडी के असर की भी समीक्षा करनी चाहिए। इससे निरंतरता के साथ कृषि क्षेत्र को अधिक व्यवहार्य बनाया जा सकेगा।'
आरबीआई कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कृषि क्षेत्र को संवहनीय एवं व्यवहार्य बनाने के लिए किसान कर्ज माफी से पूरी तरह बचा जाना चाहिए। इसके अलावा कृषि क्षेत्र को कर्ज की हालत सुधारने के लिए भी कई सुझाव दिए गए हैं। किसानों को एक लाख रुपये तक का उपभोग ऋण देने की बात भी कही गई है। हालांकि ऐसे कर्ज देते समय जमानत लेने और कर्ज लौटाने की किसान की क्षमता का आकलन किया जाना चाहिए। हालांकि कार्यबल ने कहा है कि सरकारों को भूमि संबंधी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया एक समयबद्ध तरीके से पूरी करनी चाहिए। बैंकों को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड तक पहुंच दिया जा सकता है जिससे वे आसानी से मालिकाना हक सुनिश्चित कर सकेंगे।
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