औद्योगिक उत्पादन सरकार को कुछ राहत देने वाला है। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर कम रहने पर सरकार की चौतरफा आलोचना के बाद जुलाई महीने में आईआईपी में 4.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वृद्धि दर जून में 1.2 प्रतिशत थी।
बहरहाल उपभोक्ता वस्तुओं में जुलाई में भी सुस्ती बनी रही। इसमें भी वाणिज्यिक वाहन, कल पुर्जा और टीवी सेट के क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है। गुरुवार को सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है। अर्थशास्त्री इस वृद्धि को औद्योगिक उत्पादन का फिर पटरी पर लौटना बताने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति अपनी अक्टूबर की समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती करेगी, जिससे कि आर्थिक वृद्धि दर को गति मिल सके।
यह थोड़ी सांत्वना देने वाली बात है कि उपभोक्ता वस्तुओं की गिरावट जुलाई में 2.7 प्रतिशत रही, जो इसके पहले महीने में 10.2 प्रतिशत थी। आईआईपी में एक प्रतिशत अधिभार वाणिज्यिक वाहनों का होता है, जिसकी जुलाई में वृद्धि 0.24 प्रतिशत रह गई है, जबकि वाहनों के पुर्जे व एक्सेसरीज का अधिभार 2.6 प्रतिशत होता है और इसकी वृद्धि दर 0.21 प्रतिशत रही है।
पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन भी निराशाजनकर रहा है, जिससे निवेश के संकेत मिलते हैं। इसमें सातवें महीने गिरावट आई है। जुलाई में यह 7.1 प्रतिशत गिरा है, जो इसके पहले महीने के 6.8 प्रतिशत की तुलना में ज्यादा है। इन सभी वजहों से अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आईआईपी वृद्धि में यह वृद्धि, हो सकता है कि टिकाऊ न हो।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, 'यह धारणा कम समय के लिए रहने की संभावना है। पहले के अगस्त 2019 के आंकड़ों से कोल इंडिया लिमिटेड और ऑटोमोबाइल्स के साथ बिजली के उत्पादन में सुस्ती के संकेत मिलते हैं। इससे पता चलता है कि आईआईपी का अगला आंकड़ा सुस्त रह सकता है।' उन्हें उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति अगले महीने दरों में कटौती कर सकती है। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि जुलाई के आईआईपी आंकड़ों के हिसाब से यह कहना जल्दबाजी होगी कि औद्योगिक बहाली शुरू हो गई है और इसके लिए कुछ और समय इंतजार करना उचित होगा और आगामी त्योहारी सीजन के बाद इसका सही आकलन किया जा सकेगा।
दो प्रमुख क्षेत्रों विनिर्माण और खनन में जुलाई महीने में पहले के महीने की तुलना में ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है। विनिर्माण क्षेत्र 4.2 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि जून में 2.3 प्रतिशत बढ़ा था। वहीं खनन क्षेत्र जुलाई महीने में तीन गुना बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गया है, जिसमें जून में 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। विनिर्माण, खाद्य उत्पादों, पहनने वाले कपड़े, मूल धातुओं में जुलाई महीने में दो अंकों की वृद्धि दर दर्ज की गई है। बिजली उत्पादन की वृद्धि दर जुलाई में थोड़ी कम 4.8 प्रतिशत रही है, जिसमें इसके पहले के महीने में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर दर्ज की गई थी।
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