इनविट में आएंगे व्यस्त राजमार्ग | |
मेघा मनचंदा / नई दिल्ली 09 09, 2019 | | | | |
► इनविट म्युचुअल फंड की ही तरह के होते हैं, जिनमें व्यक्तियों व संस्थाओं को सीधे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश की अनुमति होती है
► आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने जनवरी 2018 में पेश किया था देश का पहला इनविट, निजी क्षेत्र ने ली बढ़त
► आईआरबी इनविट में पूरी हो चुकी 6 सड़क परिसंपत्तियों को शामिल किया गया, 5 राज्यों में फैली इन सड़कों की लंबाई 3,000 किलोमीटर
► टोल ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल में पूरी हो चुकी सड़क परियोजनाएं निवेशकों को परिचालन और रखरखाव के लिए दी जाती हैं
► पहली टीओटी परियोजना ऑस्ट्रेलिया की मैक्वैरी व अशोक बिल्डकॉन के उद्यम को जनवरी 2018 में मिली
► कंसोर्टियम ने टीओटी परियोजना के लिए 9,681.5 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जो 6,258 करोड़ रुपये के आधार मूल्य से 1.5 गुना ज्यादा
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय जल्द ही कुछ चिह्नित परियोजनाओं के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के बुनियादी ढांचा निवेश कोष (इनविट) का प्रस्ताव लाएगा। इस दिशा में पहले कदम के तहत एनएचएआई ज्यादा यातायात वाले राजमार्गों का चयन करेगा और उन्हें विशेष उद्देश्य इकाई के तहत लाएगा। एनएचएआई इसके बारे में फैसला करेगा कि कौन से खंड को जल्द ही पेश होने वाली इनविट योजना में डाला जाए और कौन सी सड़क मौजूदा टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) में डाला जाए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'जिन सड़क खंडों पर भविष्य में ज्यादा परिवहन की क्षमता है, उन्हें इनविट के लिए अलग रखा जाएगा क्योंकि हम ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करना चाहते हैं और इसलिए इसके तहत ज्यादा आकर्षक परियोजनाओं को सूचीबद्ध करेंगे। इसका मतलब यह नहीं है कि सड़क मुद्रीकरण की योजनाएं कम आकर्षक होंगी, लेकिन शुरुआत के लिए हम इनविट को टीओटी की तुलना में प्राथकिमता देंगे।'
मंत्रालय इनविट के लिए कैबिनेट से भी मंजूरी लेगा। केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एनएचएआई इनविट की स्थापना के लिए काम कर रहा है, जिससे उसकी परियोजनाओं का मुद्रीकरण हो सके और पूंजी बाजारों के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन आकर्षित किया जा सके। इनविट में विशेष उद्देश्य इकाई या एक ट्रस्ट के तहत 3 से 4 राजमार्ग रखे जाएंगे। निवेशक उसमें इक्विटी लेंगे जैसे कि वे एक कंपनी के शेयर खरीदते हैं। एसपीवी का उसके बाद घरेलू स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होगा और निवेशकों का मुनाफा पूंजी बाजार में इनविट के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ होगा। यह म्युचुअल फंड की जरह से होगा, जिसमें कोई व्यक्ति या संस्थागत निवेशक सीधे धन लगा सकेंगे।
बहरहाल टीओटी परिचालन व रखरखाव ठेकों से जुड़ा है, जो 25 से 30 साल के लिए दिए जाते हैं। इस मामले में सरकार या एनएचएआई निवेशकों से परियोजना के लिए शुरुआती भुगतान बोली प्रक्रिया के तहत प्राप्त करेंगे। इस तरह की परियोजना ऑस्ट्रेलिया की मैक्वैरी ने अशोक बिल्डकॉन के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से जनवरी 2018 में हासिल की थी। इस उद्यम ने टीओटी परियोजना के लिए 9,681.5 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जो उसके आधार मूल्य 6,258 करोड़ रुपये की तुलना में 1.5 प्रतिशत ज्यादा थी।
अशोक बिल्डकॉन परिचालन और रखरखाव का काम देखेगी और मैकक्वैरी एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड-2 द्वारा इसके लिए इक्विटी लाई जा रही है। एक इसी तरह का 586 किलोमीटर का खंड राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बिहार में है, जिसमें 4 राजमार्गों पर 12 टोल प्लाजा हैं। इसकी पेशकश पिछले साल की गई थी लेकिन आरक्षित मूल्य से कम बोली रहने के कारण इसे रद्द कर दिया गया।
एनएचएआई ने टीओटी परियोजनाओं के एक और दौर के लिए रोड शो शुरू किया है, जिसमें 9 खंडों की कुल लंबाई करीब 566 किलोमीटर है और यह सड़कें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और तमिलनाडु में हैं। इन पेशकशों के अलावा टीओटी मॉडल के तहत करीब 6,400 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं चिह्नित की गई हैं। उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार इस साल दिसंबर तक पहला इनविट शुरू करेगी। इस तरीके से धन जुटाने के मामले में निजी क्षेत्र ने बढ़त ले ली है। आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड ने देश का पहला इनविट जनवरी 2018 में पेश किया था।
आईआरबी इनविट में पूरी हो चुकी 6 सड़क परिसंपत्तियों की पेशकश की गई है, जिनकी कुल लंबाई 3,000 किलोमीटर है। पांच राज्यों में फैली इन परिसंपत्तियों की औसत बैलेंस कंसेशन अवधि 16 साल है। इन सभी 6 सड़क संपत्तियों पर ट्रस्ट का 100 प्रतिशत मालिकाना है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एनएचएआई के इनविट पर काम कर रहा है। यह कवायद पहले से ही चल रही है, जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने एनएचएआई से उसकी मौजूदा सड़क संपत्तियों को टीओटी या इनविट के माध्यम से मुद्रीकरण करने की सलाह दी थी क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय का मानना है कि गैर योजनाबद्ध और सड़कों के बहुत ज्यादा विस्तार के कारण प्राधिकरण का काम पूरी तरह से फंसा हुआ है।
|