सुस्ती के बावजूद दमखम मौजूद | विवेट सुजन पिंटो / मुंबई September 09, 2019 | | | | |
► अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आगे बढ़ सकती है मुश्किलें
► नील्सन के आंकड़े आरबीआई के उपभोक्ता विश्वास सूचकांक और सरकार के जीडीपी आंकड़ों से बिल्कुल अलग
आर्थिक सुस्ती के बावजूद लगता है कि भारतीय उपभोक्ता भविष्य को लेकर बेहद आशावान हैं। मार्केट रिसर्च एजेंसी नीलसन के आंकड़ों में यह बात सामने आई है। अप्रैल-जून तिमाही में भारत वैश्विक उपभोक्ता विश्वास सूचकांक में 138 अंकों के साथ शीर्ष पर रहा। यह आंकड़ा छह तिमाहियों में सर्वाधिक है और ऐसे समय आया है जब आर्थिक विकास दर में तेज गिरावट आई है।
नीलसन के आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उपभोक्ता विश्वास सूचकांक और सरकार द्वारा पिछले सप्ताह जारी जीडीपी के आंकड़ों से बिल्कुल अलग है। जीडीपी आंकड़ों के मुताबिक देश की आर्थिक विकास दर अप्रैल-जून तिमाही में गिरकर 5 फीसदी रह गई। ज्यादा चिंता की बात यह है कि जीडीपी वृद्घि का अहम इंजन माने जाने वाला निजी उपभोग की बढ़ोतरी गिरकर 3.1 फीसदी रह गई है।
आरबीआई के उपभोक्ता विश्वास सूचकांक के जुलाई के आंकड़ों के मुताबिक यह 95.7 रह गया जबकि मई में यह 97.3 और मार्च में 104.6 था। केंद्रीय बैंक ने साथ ही कहा कि भविष्य की उम्मीदों का सूचकांक जुलाई में चार अंक गिरकर 124.8 रहा। लेकिन नीलसन का कहना है कि वह आने वाले महीनों को लेकर आशावान है।
नीलसन के वैश्विक अध्यक्ष एवं मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी पैट्रिक डॉड ने कहा, 'घरेलू एफएमसीजी बाजार में मूल्य के संदर्भ में 10 फीसदी बढ़ोतरी के साथ भारत अब भी कुछ गिनेचुने देशों में है। भले ही यह पिछली तिमाहियों की तुलना में कम है लेकिन इसके बावजूद दुनिया के कई बाजारों में ऐसी वृद्घि दर नहीं देखी जा रही है। मुझे लगता है कि एमएफसीजी खपत में जबरदस्त बढ़ोतरी और भविष्य की संभावनाओं का मजबूत संकेत है।'
हालांकि विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि आर्थिक सुस्ती का पूरा असर जुलाई-सितंबर तिमाही में त्योहारी मौसम शुरू होने से पहले दिखाई देगा। भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष कहते हैं, 'यह सुस्ती कम समय के लिए है या लंबे समय तक रहेगी, यह एक-दो तिमाही में स्पष्टï हो पाएगा।' हालांकि उपभोक्ताओं के बढ़ती उम्मीद पर कंपनियों की नपीतुली प्रतिक्रिया है। उनका कहना है कि दो-तीन तिमाही बाद स्थिति पटरी पर लौट सकती है।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा, 'आरबीआई ने अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए अतिरिक्त रकम जारी कर दी है, इसलिए सरकार इसमें हस्तक्षेप करेगी। मुझे नहीं लगता है कि यह सुस्ती लंबे समय तक रहेगी। कुछ तिमाहियों पर जीडीपी विकास दर पटरी पर लौट आएगी।'
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