जीएसटी परिषद के भरोसे वाहन | |
फिटमेंट समिति द्वारा दरें कम करने से इनकार के बाद गेंद जीएसटी परिषद के पाले में | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली 09 09, 2019 | | | | |
राजस्व की कमजोर स्थिति के मद्देनजर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की फिटमेंट समिति ने वाहन क्षेत्र के लिए दरों में कटौती की सिफारिश से परहेज किया है और इस मामले में गेंद जीएसटी परिषद के पाले में डाल दी है। परिषद की 20 सितंबर को गोवा में बैठक होनी है। वाहनों की गिरती बिक्री से परेशान वाहन उद्योग जीएसटी दरों में कटौती की मांग कर रहा है। लेकिन फिटमेंट समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में केवल इतना कहा गया कि अगर वाहनों पर जीएसटी की दर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी की गई तो इससे सालाना करीब 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इस समिति में राज्यों और केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं। बैठक में दर कटौती के बारे में उद्योग और राज्यों द्वारा दिए गए ज्ञापनों पर चर्चा की गई और अपने सुझाव परिषद को सौंपे गए।
वाहन क्षेत्र पिछले 20 साल में सबसे बदतर स्थिति का सामना कर रहा है। जुलाई में यात्री वाहनों की बिक्री में 30.98 फीसदी गिरावट आई। वाहन क्षेत्र को 28 फीसदी की सबसे ऊंची जीएसटी श्रेणी में रखा गया है। साथ ही इस पर उपकर भी लगता है क्योंकि इसे विलासिता की वस्तु माना जाता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सायम के वार्षिक सम्मेलन में उद्योग की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा था कि जीएसटी दर में कटौती को लेकर उनकी वित्त मंत्री से बात चल रही है। इनमें हाइब्रिड वाहन भी शामिल हैं।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'राजस्व की स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसी स्थिति में वाहनों पर जीएसटी दर में कटौती की सिफारिश नहीं की जा सकती है क्योंकि राजस्व में इसका सबसे अधिक योगदान है। समिति ने कोई सुझाव नहीं दिया है बल्कि केवल इतना कहा है कि इससे राजस्व को भारी नुकसान होगा।'
समिति का कहना है कि वाहन क्षेत्र की दरों में कटौती से 50 हजार करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान की आशंका है जिसमें केवल कलपुर्जा उद्योग से 22 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। वाहन उद्योग से सालाना करीब तीन लाख करोड़ रुपये का राजस्व आता है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने उद्योग को व्यक्तिगत रूप से राज्य सरकारों से संपर्क करने की अपील की है क्योंकि परिषद सर्वसम्मति से फैसला करती है।
केरल ने वाहनों पर लगने वाली जीएसटी दर में कटौती का विरोध किया है लेकिन उसका कहना है कि जरूरत पडऩे पर उपकर हटाकर वाहन उद्योग को राहत दी जा सकती है। केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'वाहन क्षेत्र की दरों में कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। फिर भी अगर केंद्र वाहन क्षेत्र की मदद करना चाहता है तो वह उपकर हटाने पर विचार कर सकता है। अगर राजस्व में कमी होती है तो केंद्र उधार लेकर राज्यों के नुकसान की भरपाई कर सकता है।'
केंद्र ने 2019-20 में केंद्रीय जीएसटी में 16 फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है लेकिन राजस्व संग्रह के आंकड़ों को देखते हुए इसे हासिल करना बहुत बड़ी चुनौती है। पिछले साल संग्रह में 9 फीसदी कमी को देखते हुए सरकार ने बजट में केंद्रीय जीएसटी संग्रह के लक्ष्य को घटाकर 5.26 लाख करोड़ रुपये कर दिया था जबकि अंतरिम बजट में 6.1 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
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