बीपीसीएल में हिस्सा बेचेगी सरकार! | |
विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में सरकार को मिलेगी मदद | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली 09 02, 2019 | | | | |
केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) में अपनी कुल 40,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल (आईओसी) को बेचने की योजना बना रही है। इस सौदे से मोदी सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपये के महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। अगर यह योजना सफल होती है तो इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम का विलय तीन साल में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का तीसरा सबसे बड़ा विलय होगा। हालांकि इसमें बैंकों का विलय शामिल नहीं है। इससे पहले 2017-18 में ओएनजीसी-हिंदुस्तान पेट्रोलियम तथा 2018-19 में आरईसी (पूर्व नाम रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन) और पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन का विलय किया गया था। दोनों सौदों से केंद्र सरकार को संबंधित वर्षों में विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में बड़ी मदद मिली थी।
शुक्रवार को बंद भाव के हिसाब से बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 77,033 करोड़ रुपये थी। सरकार की इसमें 53.29 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका मूल्य करीब 41,040 करोड़ रुपये है। मामले के जानकार एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'दो संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। बीपीसीएल को गैर-सार्वजनिक उपक्रम के हाथों बेचकर निजीकरण करना या कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी इंडियन ऑयल द्वारा अधिग्रहण करना।' उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प ज्यादा कारगर हो सकता है। आईओसी-बीपीसीएल के विलय की संभावना पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग, आर्थिक मामलों के विभाग और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई है। सरकार के वरिष्ठï नेतृत्व ने कंपनी में सरकार की पूरी हिस्सेदारी के विनिवेश करने पर सहमति दे दी है।
अधिकारी ने कहा कि जल्द ही इस पर काम शुरू होगा और कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर मंत्रिमंडल की मंजूरी ली जाएगी। इसके साथ ही सौदे के लिए लेनदेन एवं कानून सलाहकार आदि की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वर्तमाल मूल्यांकन पर आईओसी का बाजार पूंजीकरण 1.19 लाख करोड़ रुपये है। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 52 फीसदी है, जिसका मूल्य करीब 62,000 करोड़ रुपये है।
मौजूदा शेयर भाव के आधार पर बीपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री से 2019-20 के 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य का 39 फीसदी प्राप्त हो सकता है। सरकार ने इस साल अब तक विनिवेश से 12,357.5 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अगर आईओसी बीपीसीएल की बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण करती हे तो देश में कुल पेट्रोल पंपों का करीब 66 फीसदी (42,855) इसके पास होगा। इसके साथ ही इसकी एकीकृत रिफाइनिंग क्षमता 10.45 करोड़ टन सालाना होगी। इसके साथ ही एकीकृत इकाई के पास देश के कुल 248 विमानन ईंधन स्टेशन में से 173 स्टेशन होंगे। मार्च 2019 तक आईओसी पर 86,359 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिनमें सरकार की सब्सिडी बकाया भी शामिल है, वहीं बीपीसीएल पर 29,099 करोड़ रुपये का कर्ज था। वर्ष 2017-18 में ओएनजीसी ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम में सरकार की समूची 51 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण 36,900 करोड़ रुपये में किया था, जिससे रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश हासिल करने में मदद मिली थी।
2018-19 में पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन ने आरईसी में सरकार 52.63 फीसदी हिस्सेदारी का 14,500 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया था। इससे संबंधित वर्ष में 84,972 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य का 17 फीसदी हासिल हुआ था। इन दोनों सार्वजनिक उपक्रमों के विलय के अलावा बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कई सार्वजनिक उपक्रमों का भी विलय-अधिग्रहण किया गया।पिछले दो वर्षों में विलय और अधिग्रहण के अलावा एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों भारत 22 ईटीएफ और सीपीएसई ईटीएफ से भी सरकार को विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली थी। इस साल भी कुछ ऐसा ही होने की उम्मीद है। दो ईटीएफ लाने के बाद अब वित्तीय क्षेत्र के ईटीएफ भी लाए जा सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि राजकोषीय स्थिति को देखते हुए महत्त्वाकांक्षी विनिवेश लक्ष्य को हासिल करना अपरिहार्य हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अतिरिक्त अधिशेष सरकार को देने के निर्णय से केंद्र को 58,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी, जो कर राजस्व में होने वाली कमी की भरपाई के लिए उपयोग हो सकता है।
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