सीईजेड के लिए नया ढांचा जल्द | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली September 01, 2019 | | | | |
केंद्र सरकार राज्यों की सलाह से तटीय आर्थिक क्षेत्रों (सीईजेड) के लिए संस्थागत ढांचे का मसौदा तैयार कर रही है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए एक जवाब में जहाजरानी मंत्रालय ने कहा है, 'सरकार अभी विभिन्न साझेदारों जैसे राज्य सरकारों, केंद्र के मंत्रालयों आदि से राय ले रही है, जिसके आधार पर सीईजेड के लिए संस्थागत ढांचे को अंतिम रूप दिया जाएगा।'
सरकार के पास एक प्रोटोटाइप सीईजेड विकसित करने के लिए प्रस्ताव है। सीईजेड जहाजरानी मंत्रालय की पहल है। मंत्रालय ने कहा, 'प्रस्ताव अभी शुरुआती अवस्था में है। आगे आने वाली चुनौतियों के बारे में व्यापक विचार किया जाएगा और उसके बाद इसके लिए समय तय किया जा सकता है।'
सागरमाला परियोजना के तहत सरकार ने जुलाई 2016 में 14 सीईजेड बनाने की घोषणा की थी, जो तटीय राजयें के बंदरगाहों से जुड़े होंगे। यह विनिर्माण संयंत्र स्थापति करने के लिए तटीय आर्थिक इकाइयां होंगी। बंदरगाह से जुड़े औद्योगीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए 14 सीईजेड सभी समुद्रतटीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से संबद्ध होंगे। सागरमाला कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय दृष्टिकोण योजना के हिस्सा के तहत इन्हें चिह्नित किया गया था।
सभी 14 सीईजेड के लिए दृष्टिकोण योजना भी राज्य सरकारों व संबंधित मंत्रालयोंं की सलाह से तैयार किया जाएगा। सागरमाला परियोजना की 4 अहम विशेषताएं हैं, बंदरगाह का आधुनिकीकरण, बंदरगाह की कनेक्टिविटी, बंदरगाह से जुड़ा औद्योगीकरण और तट से जुड़े समुदायों का विकास। सीईजेड तीसरी श्रेणी में आते हैं।
मात्रा के हिसाब से देखें तो बंदरगाहों से एग्जिम कार्गो का 90 प्रतिशत परिचालन होता है और मूल्य के हिसाब से इसकी हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। गुजरात में अकेले 25-30 प्रतिशत कार्गो की आवाजाही है। इस तरह से अगर तटीय इलाकों को बंदरगाह से जुड़े विकास के माध्यम से बंदरगाह से जोडऩे की योजना है, क्योंकि इससे कंपनियों की ढुलाई की लागत कम होती है।
प्रस्तावित 14 बंदरगाहों में गुजरात में कच्छ, सूर्यपुर, और सौराष्ट्र, महाराष्ट्र में दक्षिण व उत्तरी कोंकड़, कर्नाटक में दक्षिण कन्नड़, केरल में मालाबार, तमिलनाडु में मन्नार, वीसीआईसी, दक्षिण और पूमपुहार आंध्र प्रदेश में वीसीआईसी सेंट्रल और नॉर्थ, ओडिशा में कलिंग और पश्चिम बंगाल में गौड शामिल है।
ज्यादातर जहाजरानी परियोजनाएं अगले 5 साल में लागू की जानी हैं, जिसमें बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, क्षमता विस्तार, क्रूज टर्मिनल, पोर्ट कनेक्टिविटी और तटीय शिपिंग शामिल है। यह सभी काम सागरमाला के तहत होने हैं और इसके लिए 5 साल की योजना बनाई गई है।
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