क्षेत्रवार दिक्कतें दूर कर रही सरकार | गिरीश बाबू / September 01, 2019 | | | | |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार हर क्षेत्र की दिक्कतों को दूर करने के लिए अलग-अलग उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र की अलग-अलग समस्याएं होती हैं और जादू की छड़ी के रूप में काम करने के लिए कोई एक उपाय नहीं हो सकता।
उन्होंने चेन्नई में कर अधिकारियों और कारोबारी प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया, 'हम उद्योग की मांगों पर ध्यान दे रहे हैं। मैं पूरे उद्योग के लिए एक विशेष जवाब नहीं दे सकती और कोई जादू की छड़ी नहीं बता सकती। क्षेत्र के हिसाब से उनकी जो मांग है, उसे हम पूरी कर रहे हैं।' उन्होंने यह बात इस सवाल के जबाव में कही कि क्या सरकार यह मानती है कि अर्थव्यवस्था में मंदी है।
सरकार विभिन्न क्षेत्रों के साथ विचार-विमर्श कर रही है और उसने पिछले दो सप्ताह में दो खेप में घोषणाएं की हैं। उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श चल रहा है और सरकार उन क्षेत्रों की मांगें पूरी करेगी, जो किसी तरह की राहत चाहते हैं।
सीतारमण ने कहा कि बजट की घोषणाओं से जमीनी स्तर पर पहले ही बदलाव दिखने लगे हैं। इनमें नकदी की दिक्कतें, बैंकों में पूंजी डालना और एनबीएफसी से संबंधित मसले शामिल हैं। नतीजों का मूल्यांकन करने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि कृषि समेत कई क्षेत्रों के लिए विचार-विमर्श हो रहा है, जिनके लिए सरकार जल्द ही राहत लेकर आएगी। सरकार का मानना है कि मॉनसून कृषि की जरूरतें पूरी करेगा।
वाहन उद्योग के मसले पर उन्होंने कहा कि वाहन उद्योग की दिक्कतों का अलग पहलू है। इसमें एक यह भी है कि ग्राहकों बीएस-6 शुरू होने आसपास वाहन खरीदने का इंतजार कर रहे हों ताकि उन्हें ज्यादा छूट मिल सके। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने से ग्राहकों में यह भ्रम है कि बीएस4 और बीएस 6 वाहनों का क्या होगा। इस वजह से वाहनों का स्टॉक बढ़ गया है।
उन्होंने कहा, 'हमें सरकार के रूप में इन दिक्कतों का समाधान करना होगा। हम अपने पास ये दिक्कतें आने के बाद उनका समधान कर रहे हैं। जीएसटी दर में कमी के फैसले को जीएसटी परिषद में भेजा जाएगा।' राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) जैसी रिपोर्टों की पृष्ठभूमि में नौकरियों में कमी की चिंताओं को लेकर उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार के आंकड़े केवल संगठित क्षेत्र तक सीमित रहे हैं। यह स्थिति 2014 में राजग सरकार के आने से पहले भी थी और 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद भी है।
उन्होंने कहा, 'भारत में असंगठित क्षेत्र के रोजगार के आंकड़ों के व्यापक दस्तावेज नहीं हैं। जब हम एनएसएसओ जैसे सरकारी संगठनों के आंकड़ों का हवाला देते हैं तो उनमें केवल संगठित क्षेत्र के आंकड़े होते हैं और उनमें असंगठित क्षेत्र का कोई जिक्र नहीं होता है। भारत में हमारी अर्थव्यवस्था की प्रकृति ऐसी है कि इसमें ज्यादातर रोजगार असंगठित क्षेत्र में सृजित होते हैं। अगर इस क्षेत्र में कोई दिक्कत है तो मैं उस पर विचार करने के लिए तैयार हूं।' उन्होंने यह बात दोहराई कि बैंकिंग क्षेत्र में विलय की घोषणा कई कारकों पर विचार करने के बाद की गई है और इससे किसी की नौकरी नहीं जाएगी। इस सरकार ने पहले जितने विलय किए हैं, उनसे किसी का रोजगार नहीं छिना है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी राय रख दी है, लेकिन इस पर मेरी राय अलग है। दरअसल सिंह ने कहा है कि भारत लंबी समय तक बने रहने वाली मंदी में फंस गया है।
|