छोटी-छोटी जुगत भिड़ाएं और बच्चों को बचत तथा निवेश सिखाएं | सरबजीत के सेन / September 01, 2019 | | | | |
बच्चों को अच्छी बातें सिखाने का मौका कभी नहीं छोडऩा चाहिए और बात पैसों की हो तो मौका ढूंढकर उन्हें धन का सबक पढ़ाना चाहिए। गर्मियों की छुट्टिïयां हों, त्योहारों का वक्त हो या स्कूल की ओर से बाहर जाना हो, बच्चों को खर्च करने या कुछ खरीदने के लिए रकम की जरूरत पड़ जाती है। यह रकम कैसे इक_ïी हो, बच्चों को यह सिखाते रहना चाहिए। कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक जिग्नेश शाह कहते हैं, 'आजकल के बच्चे टेलीविजन और मोबाइल के जरिये मिलने वाले मनोरंजन की काल्पनिक दुनिया में जी रहे हैं। ऐसे में उन्हें असली दुनिया के लिए तैयार करना जरूरी है। उन्हें पता होना चाहिए कि पैसा कैसे कमाया जाता है और कैसे संभाला जाता है।'
रातोरात अमीर नहीं होते
एक सरल बात हम सभी जानते हैं और वह तथ्य है कि कोई पलक झपकते न तो भारी रकम इक_ïी कर सकता है और न ही अमीर बन सकता है। उसके लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है। यह बात बड़े होते हुए बच्चों को समझाना बहुत जरूरी है। उन्हें यह बात समझाई जानी चाहिए कि खाते में मोटी रकम एक ही रात में नहीं आ जाती। उसके लिए धीरे-धीरे और योजनाबद्घ तरीके से बचत करनी पड़ती है।
बच्चे को यह बात समझाने के लिए आप कोई सटीक योजना बना सकते हैं। मान लीजिए कि आपका बच्चा कुछ खरीदने की फरमाइश करता है। आप उसे पैसे दे दीजिए और उससे कहिए कि खुद ही सामान खरीद लाए। अगर बच्चा 100 रुपये की कोई चीज मांगता है तो उसे 10 दिन तक रोज 10 रुपये दीजिए। इस तरह खरीदारी करने से पहले बच्चे को पता चल जाएगा कि धैर्य रखने से पैसा इक_ïा करना कितना आसान हो जाता है। आपका यह कदम दो तरीके से काम करेगा। बच्चे को सब्र रखना भी आ जाएगा और उसे पैसे की कीमत भी पता चल जाएगी।
पैसा मेहनत से आता है
बच्चे को केवल यह बता देना काफी नहीं है कि पैसा कमाना बहुत जरूरी होता है। कमाई करना जीवन यापन या सुख के लिए जरूरी है यह बात तो उसे पता होनी ही चाहिए, लेकिन उसे यह भी समझना चाहिए कि पैसा कमाने के लिए काम भी करना पड़ता है। इसे समझाने के लिए सबसे आसान तरीका होता है बच्चे को काम करने के लिए प्रोत्साहित करना। शाह कहते हैं, 'माता-पिता अपने बच्चों को दिन में कुछ घंटे तक काम करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि बच्चों के पास अपनी रकम इक_ïी हो सके। माता-पिता इस मामले में उन्हें रास्ता दिखा सकते हैं।' धीरे-धीरे बच्चे को पैसे की कीमत पता चल जाएगी। वह समझ लेगा कि पैसा कीमती इसलिए नहीं होता कि उससे सामान खरीद सकते हैं बल्कि इसलिए कीमती होता है क्योंकि उसे कमान में मेहनत लगती है।
बच्चों को खर्च करने के मामले में सही फैसले लेना भी सिखाना चाहिए। उन्हें यह समझाना जरूरी है कि जरूरत का सामान खरीदने में और महज इच्छा होने की वजह से जरूरत के बगैर ही कुछ खरीद लेने में क्या फर्क है। इसके लिए एक अच्छा तरीका आजमाया जा सकता है। यदि बच्चा कुछ खरीदना चाहता है तो उसे कहिए कि अपनी गुल्लक में से पैसे निकालकर खरीदे। गुल्लक के पैसे खर्च होंगे तो बच्चे को चिंता होगी और वह ऐसा सामान खरीदने से हिचकेगा, जिसकी उसे जरूरत नहीं है या जिसे वह हमउम्र बच्चों के दबाव में खरीद रहा है।
गुल्लक से बैंक तक
अगर अभी तक आपका बच्चा गुल्लक से ही काम चला रहा है तो उसे बैंक तक ले जाएं ताकि उसे पता चले कि बाहरी लोगों के साथ मिलकर अपनी रकम का खयाल कैसे रखा जाता है। आप बच्चे के नाम से बैंक खाता खुलवा सकते हैं। उसे बैंक तक ले जाइए और बताइए कि वहां कैसे काम होता है। रकम जमा करने के लिए पर्ची भरने का जिम्मा उसी को दीजिए और पैसा जमा करने के लिए काउंटर पर भी उसे ही भेजिए। इससे बच्चे को लगेगा कि खाता और पैसा उसी का है। हैप्पीनेस फैक्टरी के संस्थापक अमर पंडित समझाते हैं, 'बच्चे को रुपये-पैसे से जुड़ी बातें सिखाने का अच्छा तरीका यही है कि उसके नाम पर बैंक में खाता खुलवा दीजिए। उन्हें पता होना चाहिए कि रकम जमा कैसे करते हैं, चेक का इस्तेमाल कैसे करते हैं और एटीएम कार्ड कैसे चलाते हैं।'
बच्चे को भविष्य के लिए तैयार करते समय आखिरी सबक यह होता है कि पैसा कैसे कमाना है। लेकिन इसके लिए उसे निवेश के पेचीदा पहलू सिखाने की जरूरत नहीं है। उसके बजाय बच्चे को बताइए कि ब्याज क्या होता है और ब्याज जुडऩे से पैसा कैसे बढ़ता है। यह सिखाने के लिए कई मजेदार तरीके अपनाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपका बच्चा जेबखर्च में मिली पूरी रकम खर्च नहीं करता है तो आप उसकी गुल्लक में कुछ रुपये अपनी ओर से मिला सकते हैं। लेकिन जब ऐसा करें तो उसे बताएं कि पैसा बचाकर रखने के बदले उसे यह इनाम मिला है और बचत पर ब्याज भी इसी तरह जुड़ता है।
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