फेसबुक और ट्विटर जैसे विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए स्थानीय भाषाओं वाले संस्करण बाजार में ला रहे हैं। अब आप एक ऐसे प्लेटफॉर्म की कल्पना कीजिए, जहां लोग अलग-अलग भाषाओं वाले लोगों के साथ आसानी से बातचीत कर सकें। ऐसी सुविधा देने वाले प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ेगी। इसी तरह ऑनलाइन खेल कारोबार भी स्थानीय भाषाओं की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है। विनजो भारत के ऐसे ई-स्पोट्र्स स्टार्टअप में से एक है जिसने छोटे और मझोले शहरों में रहने वाले लोगों द्वारा बोली जाने वाली बोलियों की क्षमताओं को पहचाना है। इस ऐप पर व्यक्ति 10 विभिन्न भाषाओं में अकेले, रियल टाइम में बहुत से खिलाडिय़ों के साथ, विभिन्न खेल टूर्नामेंट, फैंटेसी लीग या क्विज आदि खेलकर और इनाम जीत सकता है। इनमें हिस्सा लेने का शुल्क भी काफी कम है और एक खिलाड़ी 2 रुपये के मामूली शुल्क वाले खेल में हजारों रुपये की इनाम राशि जीत सकता है। सौम्या सिंह राठौड़ और पवन नंदा ने पिछले वर्ष विनजो की स्थापना की थी। कंपनी ने इस वर्ष की शुरुआत में कलारी कैपिटल और हाइक की अगुआई वाले सीरीज ए के दौर में 50 लाख डॉलर की राशि जुटाई। कलारी कैपिटल ई-गेमिंग कंपनी ड्रीम-11 के शुरुआती निवेशकों में भी शामिल है। संभावनाएंकेपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 तक भारत में ऑनलाइन खेल कारोबार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा जिसमें करीब 31 करोड़ खिलाड़ी शामिल होंगे। आईडीसी और ऐपऐनी द्वारा जारी की गई 'दी गेमिंग स्पॉटलाइट 2018 रिव्यू रिपोर्ट' बताती है कि लैपटॉप या कंप्यूटर पर खेल के मुकाबले मोबाइल खेल 20 प्रतिशत अधिक राजस्व जुटाता है। कारोबारी मॉडल ऑनलाइन सामग्री वाले प्लेटफॉर्म सामान्यत: दो तरह के कारोबारी मॉडल अपनाते हैं, ऐप में खरीद या सबस्क्राइबर और विज्ञापन। सौम्या कहती हैं कि इस तरह के राजस्व मॉडल भारत में सही तरीके से काम नहीं करते। भले ही भारत सबसे अधिक ऐप इंस्टॉल करने वाले देशों में से एक है लेकिन ऐप के लिए डिजिटल खरीद करने की आदत काफी कम है। अमेरिका में प्रत्येक 25 डॉलर डिजिटल विज्ञापन राजस्व के मुकाबले भारत में केवल छह सेंट ही जुटाते हैं। मोबाइल केंद्रित ई-खेल उपलब्ध कराने वाली स्टार्टअप भारतीयों को रोजाना एक राशि जीतने का अवसर मुहैया करा रही है और यह 'प्ले फॉर मनी' प्लेटफॉर्म बन गया है। खेल में हिस्सा लेने के एवज में लिए गए शुल्क का 10 प्रतिशत प्लेटफॉर्म कमीशन के तौर पर लिया जाता है। कंपनी ई-खेल अपने यहां विकसित नहीं करती। कंपनी खुद को सेवा प्रदाता कहती है जो इंडोनेशिया या यूक्रेन जैसे देशों के डेवलपरों से ई-खेल आउटसोर्स करती है। कई बार खेल इतने लोकप्रिय हो जाते हैं कि डेवलपर इन्हें बेचने के बजाए राजस्व साझेदारी मॉडल को अपनाते हैं। चुनौतियां सौम्या बताती हैं कि किसी भी सेवा प्रदाता के लिए सबसे बड़ी चुनौती उसके द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधा होती है क्योंकि आपूर्ति शृंखला पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं रहता। विनजो ने प्रतिभाशाली खेल निर्माताओं की सहायता के लिए अलग से एक कोष बनाया है। एक तरफ जहां अच्छे खेलों की कमी है वहीं गेमिंग ऐप की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 में 20 कंपनियों के मुकाबले वर्ष 2018 में इनकी संख्या बढ़कर 250 हो गई। दूसरी चुनौती यह है कि प्ले-फॉर-मनी खेलों का उपयोग सट्टïेबाजी के लिए भी हो रहा है जिसके चलते यह क्षेत्र कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहा है। आगे की राहविनजो अगले एक वर्ष में भारतीय उपयोगकर्ताओं की संख्या 5 करोड़ और वैश्विक उपयोगकर्ताओं की संख्या 7-7.5 करोड़ तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। यह आज की संख्या 70 लाख की 10 गुना होगी। यूट्यूब पर विनजो से जुड़े कुछ वीडियो को एक लाख से अधिक हिट्स मिले हैं। इनका एक उद्देश्य खिलाडिय़ों का समूह बनाने का है जिसे बाद में माइक्रो-इन्फ्लूएंसर के तौर पर उपयोग किया जा सके।
