कई ब्रोकरों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को एक और वर्ष नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 'नेक्स्टजेन पीएसबी' करार दिए गए बैंकों के लिए यह अनुमान वित्त वर्ष 2019 के आंकड़ों पर आधारित है। इसलिए पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी), केनरा बैंक, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक को अगली तीन तिमाहियों में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें न सिर्फ यह सुनिश्चित करना होगा कि विलय प्रक्रिया आसानी से पूरी हो बल्कि उन्हें वृद्घि से अपना ध्यान हटाए बगैर यह काम करना होगा, जिससे निवेशकों का भरोसा पुन: हासिल करने के लिए बेहद जरूरी है।
विलय और पुनर्पूंजीकरण साथ साथ होने की संभावना है, जिससे इन घटनाक्रम से सही तरीके से पूंजी में इजाफा होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2019 में 7.5-8.6 प्रतिशत कॉमन इक्विटी टियर-1 (सीईटी-1) पूंजी के साथ काम करने वाले पीएनबी और यूनियन बैंक के मामले में, विश्लेषकों का मानना है कि पूंजी निवेश और विलय पूरा होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 9.8-10.6 प्रतिशत हो जाएगी। एसएमसी कैपिटल के सिद्घार्थ पुरोहित का कहना है, 'सीईटी1 अनुपात में 90-260 आधार अंक की वृद्घि हुई है और इससे खासकर पीएसबी को बड़ी मदद मिल सकती है।'
इसके अलावा, जमा आधार भी बढ़ रहा है जिससे विलय के बाद पीएसबी को खासकर ऐसे समय में वृद्घि की पर्याप्त संभावनाएं उपलब्ध होंगी जब बैंकिंग व्यवस्था में पूंजी महंगी होती जा रही है। केनरा बैंक और इंडियन बैंक (जिनकी सस्ती चालू खाता-बचत खाता जमाओं की भागीदारी मौजूदा समय में कम है) को विलय प्रक्रिया से फायदा होने की संभावना है। विलय से शाखाओं और प्रणालियों को तर्कसंगत बनाए जाने का लागत लाभ मिल सकता है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2018-वित्त वर्ष 2019 के दौरान एसबीआई ने अपनी शाखाओं की संख्या में कम से कम 10 तक की कमी की और ज्यादातर कमी महानगरों में की। पूरे उधारी क्षेत्र में अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम यह है कि केनरा बैंक और यूनियन बैंक संपूर्ण तालिका में महत्वपूर्ण स्थान पर होंगे।
इसके अलावा, संभावित विलय बैंकों को उन क्षेत्रों में अपनी हैसियत मजबूत बनाने के लिए भी एक मंच मुहैया कराएगा, जो अभी उनके मुख्य क्षेत्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, केनरा बैंक का पोर्टफोलियो अधिक कॉरपोरेट एवं आवास ऋण से जुड़ा हुआ है और उसे सिंडिकेट बैंक के विलय से छोटे व्यावसायिक ऋण की श्रेणी में अपनी उपस्थिति मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इसी तरह, पीएनबी के लिए, यूनाइटेड बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय उसकी रिटेल उपस्थिति बढ़ाने में मददगार साबित होगा। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक की लोकप्रियता को देखते हुए यूनियन बैंक दक्षिण बाजार में मजबूत होगा। इंडियन बैंक के लिए, इलाहाबाद बैंक का विलय उसे उत्तर भारतीय बाजार में पैठ बनाने में मददगार होगा। लेकिन, लागत तर्कसंगत बनाने का असर सिर्फ मध्यावधि में ही दिखेगा। लेकिन क्या दीर्घावधि लाभ पीएसबी के शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी बनाए रखने के लिहाज से पर्याप्त है? मैक्वेरी कैपिअल के सुरेश गणपति का कहना है कि यह काफी नहीं है।
वह कहते हैं, 'अब तक घोषित विलय के संदर्भ में बात की जाए तो पता चलता है कि बैंक ऑफ बड़ौदा में अन्य बैंकों (देना बैंक और विजया बैंक ) के विलय के बाद शेयर कीमतों में गिरावट देखी गई थी। इससे संकेत मिलता है कि भविष्य में होने वाले विलय मूल्य पर दबाव पैदा कर सकते हैं।'
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