आंध्रा बैंक को सरकारी पूंजी की दरकार नहीं होगी | सोमेश झा / August 30, 2019 | | | | |
यूनियन बैंक और कॉरपोरेशन बैंक के साथ विलय पर आंध्रा बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी पी पकीरीसामी ने सोमेश झा से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...
आज घोषित विलय योजना को आप कैसे देखते हैं?
यह काफी अच्छा है क्योंकि ग्राहकों को सेवा देने की क्षमता बढ़ेगी और तकनीकों की तैनाती में भी तेजी से सुधार होगा। इसके साथ ही लागत भी काफी उपयुक्त हो जाएगा। हम एक जैसी योजनाओं का ही परिचालन कर रहे हैं और भारतीय ग्राहकों को सेवाएं दे रहे हैं, ऐसे में एक साथ मिलकर हमारी ताकत बढ़ेगी, जिससे हमें मदद मिलेगी।
विलय के संबंध में कर्मचारियों के बीच हमेशा ही संशय रहा है?
अभी कर्मचारियों को ध्यान में रखकर ही कदम उठाए जाते हैं और इसका ध्यान रखा गया है कि कर्मचारी खुद को अलग-थलग महसूस न करें। हमारे मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कारोबार का आकार थोड़ा बड़ा है, लेकिन कॉरपोशन बैंक के कारोबार का आकार करीब-करीब समान है। ऐसे में यह विलय बराबरी वाला या मजबूत बैंक बनाएगा। हम ध्यान रखेंगे कि कर्मचारियों को वैसा अनुलाभ व सुविधा मिले, जो तीनों बैंकों में सबसे अच्छा हो। अगर आप देखें तो भौगोलिक लिहाज से हम सही स्थिति में हैं।
वित्तीय मानक कैसे नजर आ रहे हैं?
हमारा सीआरएआर अच्छा है, लेकिन एनपीए थोड़ा ऊंचा है। कॉरपोरेशन बैंक का सीआरएआर थोड़ा कम है। लेकिन विलय के बाद बनने वाली इकाई की वित्तीय स्थिति ठीक नजर आ रही है। आंध्रा बैंक का एनपीए हालांकि ज्यादा है, लेकिन प्रावधान कवरेज अनुपात 73 फीसदी है।
क्या आपको सरकारी पूंजी की दरकार होगी?
नियामकीय अनुपातों के अनुपालन के लिए हमें अभी पूंजी की दरकार नहीं है।
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