डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने की दिशा में आगे बढ़ रही मास्टरकार्ड | शुभायन चक्रवर्ती और नेहा अलावधी / नई दिल्ली August 29, 2019 | | | | |
भारत और दुनिया भर में लगातार बढ़ रहे डिजिटल भुगतान उद्योग ने साइबर संबंधी मामलों पर प्रकाश डाला है। वित्तीय सेवाओं की दिग्गज कंपनी मास्टरकार्ड ने इस परेशानी को स्वीकार किया है और वह डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने के उपायों पर जोर दे रही है। अधिक से अधिक लोगों द्वारा डिजिटल लेनदेन को अपनाने के साथ ही धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। मास्टरकार्ड के साइबर ऐंड इंटेलीजेंस सॉल्यूशंस के अध्यक्ष अजय भल्ला ने कहा, 'पकड़ में आए मामलों में से 70 फीसदी मामले हमारे 35 फीसदी कारोबार से जुड़े हैं जो डिजिटल लेनदेन का है और यह कारोबार बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है इसलिए हम डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने पर काफी ध्यान दे रहे हैं।' मास्टरकार्ड हाल ही में आइडेंटिटी चेक एक्सप्रेस नाम से सत्यापित करने का उत्पाद लेकर आई है जिसके जरिये ग्राहक लेनदेन को सत्यापित कर सकते हैं और स्वयं ही उसकी पुष्टि कर सकते हैं।
इसके जरिये मास्टरकार्ड के कार्डधारक 2,000 रुपये से कम के लेनदेन के लिए अपने मोबाइल पर वन टाइम मर्चेंट स्पेसिफिक कंसेंट भेज सकेंगे। 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन के लिए कार्डधारक अपने पसंद के लेनदेन पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर (पिन) से खुद को सत्यापित कर पाएंगे। भल्ला ने कहा, 'इसमें एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल होता है जो हमारे उपकरणों पर होता है जिससे यह उपकरण की पहचान, उसकी स्थिति और लेनदेन के व्यवहार का पता लगा सकता है। और हम इन सारी सूचनाओं को पहचान के साथ जोड़ सकते हैं जिसे उपभोक्ता सत्यापित करता है। यह उपभोक्ता को बिना किसी रुकावट के भुगतान करने का अनुभव प्रदान करता है।'
इस उत्पाद को सबसे पहले भारत में उतारा गया है और आगे चलकर इसे दूसरे बाजारों में भी उतारा जाएगा। मास्टरकार्ड के लिए भारत एक प्रमुख बाजार है। इस साल मई में मास्टरकार्ड ने भारत में अगले पांच वर्ष में 1 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी जो 2014-19 के दौरान किए गए 1 अरब डॉलर के निवेश से अतिरिक्त है। इस निवेश के एक बड़े हिस्से को भारत में और भारत के लिए लेनदेन की प्रक्रिया को पूरा करने वाले केंद्रों पर खर्च किया जाएगा। ऐसा भारतीयों के डेटा को स्थानीय स्तर पर संग्रहित करने के बैंकिंग नियामक के आदेश को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
भल्ला ने कहा कि कंपनी की भारतीय टीमें साइबर सुरक्षा समाधानों के लिए वैश्विक टीमों के साथ मिलकर काम करती हैं और वैश्विक स्तर पर कंपनी इस ओर बहुत अधिक ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास जो उपाय और समाधान मौजूद हैं उनमें से एक बड़ा उपाय बैंकों में सेंधमारी की गुंजाइश का पता लगाता है। यदि किसी बैंक प्रणाली को हैक किया जाता है या उसमें सेंधमारी की जाती है तो हमारा तंत्र उसे मिनटों में इसकी पहचान कर लेता है, इस पकड़ता है और उसे बंद कर देता है। इस तंत्र से भारतीय बैंकों को लाभ मिला है। हमने कुछ सेंधमारी को पकड़ा है और उसे रोकने में सफलता पाई है।'
भल्ला ने कहा कि एक सचेतक के रूप में मास्टरकार्ड ने पिछले 12 महीनों में वित्तीय प्रतिष्ठानों को 10 अरब डॉलर और पिछले पांच वर्ष में 55 अरब डॉलर से अधिक की सेंधमारी और हैकों से बचाया है। भारतीय कंपनियों के लिए साइबर सुरक्षा को सहारा देना एक प्रमुख ङ्क्षचता बन चुकी है। कैपजेमिनी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कार्यकारियों पर किए गए एक सर्वेक्षण में करीब 30 फीसदी ने माना कि वे सुरक्षा उपकरणों द्वारा पहचान किए गए सभी मामलों की जांच सफलतापूर्वक कर पाने में सक्षम नहीं हैं। करीब 63 फीसदी कार्यकारी इस बात पर सहमत हुए कि वे संकटपूर्ण मामलों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्घिमत्ता पर भरोसा करते हैं।
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