भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) कच्चे माल की कमी दूर करने के लिए अपने पास सुरक्षित लौह-अयस्क स्लाइम (गाढ़ा पदार्थ) का इस्तेमाल करेगी। यह स्लाइम बीएसपी की कैप्टिव खदान में रखा गया है। सेल की सर्वाधिक मुनाफा कमाने वाली यह इकाई कच्चे माल के अभाव से जूझ रही है। दल्ली-राजहरा लौह-अयस्क कैपिटव खदान में कच्चे माल का भंडार तेजी से कम हो रहा है। बीएसई आपात स्थिति से निपटने के लिए सेल के कच्चे माल प्रभाग (आरएमडी) से लौह-अयस्क की आपूर्ति करती रही है। हालांकि ओडिशा और झारखंड स्थित इन आरएमडी खदानों से कच्चे माल की आपूर्ति पर परिवाहन लागत अधिक आती है, जिसका सीधा असर कंपनी के मुनाफे पर पड़ रहा है। सभी संयंत्र एवं इकाइयों के पूरी तरह परिचालन में आने के बाद दल्ली-राजहरा खदान में केवल पांच वर्षों की जरूरत लायक ही भंडार रह जाएगा। लौह-अयस्क की जरूरत मौजूदा 95 लाख टन सालाना से बढ़कर 1.4 करोड़ टन सालाना हो जाएगी। बीएसपी छत्तीसगढ़ में अपना पहला स्लाइम बेनिफिकेशन संयंत्र शुरू हो रहा है। निम्न गुणवत्ता वाले अयस्क को इस्तेमाल के लायक बनाने से खनिज संरक्षण में काफी मदद मिलेगी, साथ ही लौह-अयस्क की मौजूदा कमी से निपटने के साथ ही खदान में परिचालन पर्यावरण के लिहाज से और बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी। लौह-अयस्क की सफाई एवं प्रसंस्करण के बाद स्लाइम बनता है। बीएसपी से 87 किलोमीटर दूर दल्ली-राजहरा खदान में स्लाइम का भंडारण होता है।
