बिहार में कृषि ऋण में बढ़ते एनपीए से बैंक परेशान | सत्यव्रत मिश्रा / पटना August 27, 2019 | | | | |
बिहार में कृषि ऋण में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की बढ़ती तादाद ने बैंकों की नींद उड़ा दी है। राज्य में सरकारी बैंकों के 25 फीसदी कर्ज एनपीए बन चुके हैं। बैंकों ने अब इस बारे में सरकार से मदद की गुहार लगाई है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कृषि क्षेत्र के लिए 30 जून तक लगभग 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। इनमें से 6,119 करोड़ रुपये के कर्जदार अब पैसे लौटाने में आनाकानी कर रहे हैं। इससे इन बैंकों के 24.98 फीसदी कर्ज एनपीए की श्रेणी में आ गए हैं, साथ ही राज्य के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के भी 23.5 फ ीसदी कर्ज एनपीए बन चुके हैं। हालांकि इस मामले में निजी बैंकों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इनका महज 1.35 फ ीसदी कर्ज ही अटका है। कुल मिलाकर राज्य में 20.5 फ ीसदी कृषि ऋण मुश्किल में फं स गए हैं।
सरकारी बैंकों में भी सबसे ज्यादा बुरी पीएनबी की है, जिसके करीब 61 फीसदी कर्ज फंसे हैं। इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया ने भी किसानों को 1,438 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज दिया, जिनमें से 38.5 फ ीसदी कर्जदार पैसे नहीं वापस कर रहे हैं। एसबीआई का भी 20 फ ीसदी कर्ज एनपीए बन चुका है। बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 30 जून तक एसबीआई ने कृषि क्षेत्र को 4,344 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जिनमें से 868 करोड़ रुपये के कर्जदार अब पैसे लौटाने में आनाकानी कर रहे हैं। राज्य में कृषि ऋण के बढ़ते एनपीए पर बैंकरों ने गहरी चिंता जताई है।
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