रत्नागिरि गैस ऐंड पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड (आरजीपीपीएल) की दाभोल परियोजना को आखिरकार थोड़ी राहत मिली है। आखिरकार महाराष्ट्र सरकार दाभोल परियोजना के लिए ऋण की गारंटी देने के लिए तैयार हो गई है। राजीपीपीएल ने पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) से दाभोल परियोजना के लिए लगभग 300 करोड़ रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया था। आरजीपीपीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह ऋण गारंटी सिर्फ दो महीने के लिए ही दी जा रही है। वैसे भी 2,150 मेगावाट की यह परियोजना अपनी मेरिट के आधार पर ही लोन लेगी। वह जल्द ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के साथ कृष्णा-गोदावरी बेसिन से निकलने वाली गैस की आपूर्ति के लिए करार करने वाली है। आरजीपीपीएल की दाभोल परियोजना को इस बेसिन से निकलने वाली गैस के वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी। कंपनी इस ऋण का इस्तेमाल संयंत्र में खराब पड़ी टरबाइनों की मरम्मत के लिए किया जाएगा। कंपनी को इन टरबाइनों की आपूर्ति जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा की गई थी। प्रत्येक टरबाइन की मरम्मत के लिए कंपनी को लगभग 50 करोड़ रुपये से लेकर 200 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ेंगे। आरजीपीपीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमें खराब पड़े उपकरणों की मरम्मत के लिए ऋण चाहिए। ऋण् देने वाली कंपनी के लिए यह राहत की बात हो सकती है कि इन टरबाइनों की आपूर्ति करने वाली जनरल इलेक्ट्रिक ने इनकी मरम्मत के लिए मुआवजे को लेकर बातचीत भी शुरू कर दी है। अधिकारी ने बताया, 'अब हालात सुधर जाएंगे।' दाभोल पावर कंपनी मूलत: ऐनरॉन की थी। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, महाराष्ट्र सरकार, गेल इंडिया, एनटीपीसी और वित्तीय संस्थानों द्वारा ऐनरॉन के अधिग्रहण के बाद इसका नाम बदलकर आरजीपीपीएल रख दिया गया। बार बार टरबाइनों के खराब होने से इस संयंत्र के भविष्य पर सवाल उठने लगे थे। ऐसे में राज्य सरकार की अनुमति से कंपनी को काफी राहत मिली है। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया, 'अगर बार बार इसी तरह से टरबाइन खराब होने लगी तो संयंत्र का चलना काफी मुश्किल होगा।' इस मामले से जुड़े महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया, 'संयंत्र को पूरी क्षमता चलाने के लिए हम दाभोल परियोजना के से लिए 2 महीने की गारंटी दे रहे हैं। वैसे भी जल्द ही वह रिलायंस के साथ गैस आपूर्ति के लिए करार करने वाली है।' हालांकि अभी इस अनुमति पर केंद्र सरकार की मुहर लगनी बाकी है। अधिकारी ने बताया, 'राज्य ऊर्जा मंत्रालय इस बारे में केंद्र सरकार से बातचीत कर रहा है।' दाभोल बिजली संयंत्र में 6 गैस टरबाइन वाले करीब 3 ब्लॉक हैं। इस संयंत्र के लिए सभी टरबाइनों की आपूर्ति जनरल इलेक्ट्रिक ने ही की है। साल 2005 में इस परियोजना के शुरू होने से अभी तक लगभग 6 बार टरबाइन खराब हो चुकी हैं। फिलहाल इस संयंत्र में सिर्फ 2 टरबाइन ही ठीक काम कर रही हैं। इसी कारण संयंत्र में बिजली उत्पादन भी 2,150 मेगावाट की कुल उत्पादन क्षमता से घटकर 300-600 मेगावाट के बीच ही रह गया है। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत मंप आरजीपीपीएल ने लगभग 1,000 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन करने की योजना बनाई थी। मंदी पड़ गई दाभोल की बिजली महाराष्ट्र देगा दाभोल परियोजना के लिए 300 करोड़ रु. की गारंटी ऋण से होगी संयंत्र की खराब टरबाइनों की मरम्मत प्रत्येक टरबाइन की मरम्मत पर लगेंगे 50-200 करोड़ रुपये दाभोल में 2005 से अब तक 6 टरबाइन हुए खराब
