चिदंबरम 26 तक सीबीआई हिरासत में | आशिष आर्यन / August 22, 2019 | | | | |
आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की कथित तौर पर गैरकानूनी मंजूरी देने के मामले में बुधवार रात को गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आज विशेष अदालत ने चार दिनों के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया। इस तरह चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई हिरासत में ही रहना होगा। विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश ने गुरुवार शाम को दो घंटे की बहस के बाद जारी अपने आदेश में चिदंबरम को जमानत देने की मांग खारिज कर दी। हालांकि इस दौरान परिवार के सदस्यों को रोजाना उनसे मिलने और हरेक 48 घंटे पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किए जाने का आदेश भी दिया है।
अदालत ने हिरासत अवधि के दौरान जांच एजेंसी को चिदंबरम की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का ध्यान रखने को भी कहा है। अदालती आदेश के मुताबिक, 'जांच एजेंसी यह सुनिश्चित करेगी कि अभियुक्त की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को किसी भी रूप में चोट न पहुंचे।' चिदंबरम को बुधवार रात सीबीआई की टीम ने नाटकीय घटनाक्रम के तहत दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था। उसके थोड़ी देर पहले ही वह कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन करने के बाद आवास पर लौटे थे। उस संवाददाता सम्मेलन में चिदंबरम ने गिरफ्तारी से बचने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उनका इन आरोपों से कोई लेना-देना नहीं है।
बहरहाल सीबीआई मुख्यालय में हुई पूछताछ के बाद चिदंबरम को आज अपराह्न तीन बजे सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया। उस दौरान अदालत में वकीलों और मीडियाकर्मियों की भीड़ लगी हुई थी। अदालत में पेशी के समय सीबीआई का पक्ष सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। उन्होंने चिदंबरम को पांच दिनों की सीबीआई हिरासत में भेजने की मांग रखते हुए कहा कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। मेहता ने कहा कि इस दौरान चिदंबरम के पास चुप रहने और जवाब न देने का विकल्प होगा लेकिन उसे असहयोग ही माना जाएगा।
मेहता ने कहा कि चिदंबरम सीबीआई के बुलावे पर जुलाई 2018 में पूछताछ के लिए हाजिर हुए थे लेकिन उसके बाद उन्होंने मांगे गए दस्तावेज मुहैया नहीं कराए। मेहता ने मामले में चिदंबरम की भूमिका को गंभीर एवं सक्रिय करार देते हुए कहा, 'इस मामले में हुई धन की आवाजाही की भी जांच करने की जरूरत है।'दूसरी तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने चिदंबरम की तरफ से पेश होते हुए अपने मुवक्किल को रिमांड पर न भेजने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में बाकी सभी आरोपी व्यक्ति जमानत पर बाहर हैं और यह पूरा मामला केवल दस्तावेजी साक्ष्यों पर आधारित है। सिब्बल ने कहा कि सीबीआई विदेशी निवेश की जिस मंजूरी को गैरकानूनी बता रही है, उसे चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते समय महज समर्थन दिया था क्योंकि उसके पहले केंद्र सरकार के छह सचिव उसे अनुमति दे चुके थे। सिब्बल ने दावा किया कि सीबीआई ने पूछताछ के लिए केवल एक बार चिदंबरम को बुलाया था और उसके बाद से कोई नई प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं करने का सवाल ही नहीं खड़ा होता है।
इसके थोड़ी देर बाद विशेष अदालत ने सोलिसिटर जनरल की आपत्तियों के बावजूद चिदंबरम को अपना बयान रखने की अनुमति दे दी। चिदंबरम ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं और उनके पास कहने के लिए कुछ भी बाकी नहीं है। चिदंबरम ने कहा, 'सवाल-जवाब की शक्ल में मौजूद प्रतिलिपि की मांग करें। उसमें ऐसा कोई भी सवाल नहीं है जिसका जवाब नहीं दिया गया है। जहां तक 50 लाख रुपये के आरोप का सवाल है तो वह मुझसे कभी पूछा ही नहीं गया था। मुझसे केवल विदेशी बैंक खाता होने के बारे में पूछा गया था जिससे मैंने मना कर दिया था।'
चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को वर्ष 2007 में गैरकानूनी ढंग से विदेशी निवेश की मंजूरी देने का आरोप है। सीबीआई का कहना है कि उसके एवज में चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम की बनाई फर्जी कंपनियों के खाते में 300 करोड़ रुपये से अधिक रकम जमा कराई गई थी।
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