संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर मंत्रालयों में मतभेद | वीणा मणि / नई दिल्ली August 21, 2019 | | | | |
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा के प्रस्ताव का विरोध किया है। मसौदा शिक्षा नीति में मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक साझा प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'चिकित्सा शिक्षा में भी प्रत्येक खंड के लिए अलग-अलग परीक्षाएं होती हैं। डॉक्टर और नर्स दोनों के लिए एक तरह की परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती।' अधिकारी ने कहा कि शिक्षा नीति में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम के आधार पर संशोधन करना होगा। संसद में हाल में ही एनएमसी विधेयक पारित हुआ है।
एचआरडी मंत्रालय देश में शिक्षा नीति का ढांचा तैयार करता है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आती है। एनएमसी अधिनियम के तहत स्नातक पाठ्यक्रम के अंत में सभी छात्रों के लिए एक्जिट एंट्रेंस का प्रावधान किया गया है। इस एक्जिट टेस्ट के आधार पर मेडिकल के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा। मसौदा शिक्षा नीति पर सभी पक्षों के सुझाव लिए जा रहे हैं। इस नीति में शिक्षा नीति और बेहतर पारदर्शी बनाने का प्रस्ताव है। मसौदा नीति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की जगह नया नियामक बनाने का भी प्रस्ताव है।
इस नीति में आंगनवाड़ी व्यवस्था विद्यालयों में लाकर विद्यालय-पूर्व शिक्षा में तेजी लाना और शिक्षा का अधिकार (आरटीई) का दायरा बढ़ाना है। सरकार चार वर्ष की उम्र से आरटीई सुनिश्चित करने पर विचार कर रही है। आम तौर पर किसी बच्चे को चार साल की उम्र में नर्र्सरी स्कूल में भेजा जाता है। मौजूदा कानून के तहत 8 वर्ष और इससे अधिक उम्र के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिलता है, जिसके तहत वे किसी स्कूल में दाखिला ले सकते हैं। हालांकि अभी इस प्रस्ताव पर केवल चर्चा चल रही है। यह प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया जाना जरूरी है।
एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बच्चों को समग्र शिक्षा कार्यक्रम के तहत स्कूल तक पहुंच जरूर है, लेकिन जब तक वे कम से कम आठ साल के नहीं होते हैं तब तक उन्हें कानूनन इसका अधिकार नहीं है। सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अब समग्र शिक्षा कार्यक्रम में समाहित हो चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस दिशा में कदम बढ़ता है तो विद्यालय-पूर्व शिक्षा में मजबूती आएगी। मसौदा शिक्षा नीति में इस खंड पर जोर देने की बात कही गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय के तहत आंगनवाड़ी को लाने से स्कूल पूर्व शिक्षा को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
मसौदा नीति में कहा गया है कि औपचारिक शिक्षा की शुरुआत से पहले शिक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र बनाया जाना चाहिए। शिक्षा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि पहली कक्षा में कदम रखने से पहले बच्चों को संख्या और अक्षरों का पुख्ता ज्ञान होना चाहिए। उनके अनुसार इसके लिए शिक्षा तंत्र में बदलाव किया जाना चाहिए। दूसरी तरफ पाठ्यक्रम संरचना तैयार करने वाले लोगों का मानना है कि औपचारिक शिक्षा की शुरुआत से पहले मोटर स्किल पर काम करना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
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