अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए बैंकरों की माथापच्ची | बीएस संवाददाता / मुंबई/कोलकाता/नई दिल्ली August 19, 2019 | | | | |
भारत को 2024 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में बैंकिंग प्रणाली का क्या योगदान हो सकता है, इस विषय पर देश के सरकारी बैंकों की डेढ़ लाख से अधिक शाखाओं के प्रबंधकों ने बीते सप्ताहांत माथापच्ची की। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की पहल पर बैंकिंग क्षेत्र में तीन स्तरों पर बैठक की योजना बनाई गई है। इसी के तहत यह पहली बैठक थी। दूसरे चरण के तहत 22-23 अगस्त को राज्य स्तरीय बैठक होगी जिसका आयोजन एक अग्रणी बैंक करेगा। अगले महीने वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सभी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारियों से मिलेंगी। अभी इस बैठक की तारीख तय नहीं है।
इस बैठक में शाखा प्रबंधकों ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ अनोखे सुझाव दिए। उदाहरण के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारों द्वारा बार-बार किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणाओं को देखते हुए देश में पर्यावरण के कारण पैदा संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कोष बनाया जाना चाहिए। इस कोष में राज्य सरकार, केंद्र सरकार और बैंक योगदान कर सकते हैं और इससे किसानों को राहत दी जा सकती है। इस तरह किसान कर्ज माफी से बैंकों की वित्तीय स्थिति प्रभावित नहीं होगी। इससे किसानों को पांच साल में अपनी आय दोगुनी करने में भी मदद मिलेगी जो मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य है।
एक विचार यह भी था कि बैंक शाखाओं पर नकद लेनदेन और जमा काउंटरों की समयसीमा घटाई जानी चाहिए। उदाहरण के लिए शहरी इलाकों में नकद लेनदेन के लिए केवल दो घंटे के लिए काउंटर खोला जाना चाहिए और बाकी कामकाज डिजिटल माध्यमों से अनिवार्य कर देना चाहिए। मुंबई के एक बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक ने कहा, 'लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ग्राहकों को असुविधा हो। यह केवल एक सुझाव है।' मुद्रा योजना में फंसे ऋण की बढ़ती समस्या पर लगाम लगाने के लिए शाखा प्रबंधकों ने सुझाव दिया कि ऋण लेने वालों का सत्यापन करने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल बनाया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि उन्होंने कहीं और से ऋण लिया है या नहीं। राज्य स्तरीय बैठक में इनमें से सभी सुझावों पर माथापच्ची होगी और फिर राष्ट्रीय स्तर पर इनमें से कुछ सुझावों पर विचार होगा। 60 से 70 की संख्या में शाखा प्रबंधक अपने-अपने क्षेत्रों में एकत्र हुए और जमीनी स्तर पर पेश आ रही मुश्किलों और उनके समाधान के बारे में क्षेत्रीय प्रबंधक को जानकारी दी।
एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि शाखा स्तर पर होने वाली इस बड़ी बैठक से न केवल सार्वजनिक बैंकिंग प्रणाली को राष्ट्रीय बैंकिंग प्राथमिकताओं से जोडऩे में मदद मिलेगी, साथ ही एक तरह से यह बैंक शाखाओं की ऑडिट के तौर पर भी काम करेगा। बैंकिंग क्षेत्र मोटे तौर पर 10 क्षेत्रों पर केंद्रित है। इनमें ऋण आवंटन में वृद्धि, कृषि, एमएसएमई एवं आवास सहित प्राथमिक क्षेत्रों को ऋण आवंटन, आर्थिक वृद्धि, बुनियादी ढांचा, उद्योग, ब्लू एवं ग्रीन इकोनॉमी, निर्यात साख और डिजिटलीकरण शमिल हैं। राज्य स्तर पर कंपनी संचालन एवं सामाजिक क्षेत्र उत्तरदायित्व सहित दो और कारक जोड़े जाएंगे। एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि विभिन्न मंडलों में हुई शुरुआती चर्चाओं के आधार पर बैंक की करीब 25 प्रतिशत शाखाएं औसत से कम, 50 प्रतिशत औसत और 25 प्रतिशत औसत से ऊपर प्रदर्शन कर रही हैं।
कुमार ने कहा, 'ऐसा पहली बार हुआ है कि बैंकिंग क्षेत्र में इतनी बड़ी कवायद शुरू हो रही है। इसका मकसद शाखा स्तर पर कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने, उनकी प्रतिक्रिया लेने और सार्वजनिक बैंकिंग तंत्र को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोडऩे के तरीके खोजना है। इससे पहले कभी हमने इतने बड़े स्तर पर प्रयास नहीं किया था। इससे एक तरह से बैंक शाखाओं के प्रदर्शन की ऑडिट भी हो जाएगी।'यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक राजकिरण राय ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में बताया, 'वास्तविक यह है कि वित्तीय तंत्र में दो तिहाई वित्त सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से आ रहा है। अगर आज आप अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर निर्भर रहना होगा।'
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