दीवानी अपराध होगा सीएसआर नियमों का उल्लंघन! | रुचिका चित्रवंशी / नई दिल्ली August 13, 2019 | | | | |
कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने इसके अनुपालन के उल्लंघन को दीवानी अपराध बनाने और केवल जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। हाल में किए गए नीतिगत बदलावों में प्रावधान किया गया था कि नए सीएसआर नियमों का पालन नहीं करने पर तीन साल जेल की हो सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह उद्योग जगत को भरोसा दिया था कि सीएसआर नियमों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कंपनी मामलों के मंत्रालय में सचिव इंजेटी श्रीनिवास की अगुआई वाली इस समिति ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट सीतारमण को सौंपी। समिति ने सुझाव दिया है कि सीएसआर खर्च पर कर में कटौती मिलनी चाहिए।
समिति ने साथ ही सिफारिश की है कि सीएसआर की खर्च नहीं की जा सकी राशि को 3 से 5 साल की अवधि के लिए आगे बढ़ाने का प्रावधान होना चाहिए। समिति का साथ ही कहना है कि सीएसआर को सरकारी योजनाओं में फंड की कमी को पूरा करने के संसाधन के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कंपनी कानून की धारा 135 के तहत नए सीएसआर नियमों के मुताबिक किसी कंपनी को अपने मुनाफे का एक हिस्सा सामाजिक गतिविधियों पर खर्च करना होगा और जारी परियोजना के मामले में खर्च नहीं हुई राशि को एस्क्रो खाते में हस्तांतरित करना होगा। संबंधित कंपनी को यह खाता बैंक में खोलना होगा और इसे अनिर्दिष्ट कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व खाता कहा जाएगा।
अगर यह राशि तीन साल तक खर्च नहीं होती है तो इसे कंपनी कानून के खंड सात में उल्लेखित किसी भी कोष में हस्तांतरित किया जा सकता है। इनमें स्वच्छ भारत कोष, स्वच्छ गंगा कोष और प्रधानमंत्री राहत कोष शामिल है। समिति ने सुझाव दिया है कि खंड सात को टिकाऊ विकास लक्ष्यों में मुताबिक बनाया जाना चाहिए और इसमें खेल संवद्र्घन, बुजुर्ग कल्याण, विकलांग कल्याण, आपदा प्रबंधन और विरासत संरक्षण जैसे कोष शामिल किए जाने चाहिए। सीएसआर खर्च एक व्यापक प्रक्रिया होनी चाहिए और इससे सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए नवीन प्रौद्योगिकी मुहैया कराई जानी चाहिए। कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स में पार्टनर अंकित सिंघी ने कहा, 'ऐसा लगता है कि यह रिपोर्ट कंपनी कानून में किए गए बदलावों से यू-टर्न है। आश्चर्य की बात है कि सीएसआर व्यवस्था में किए गए बदलावों के अनुरूप नहीं है।'
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