रुपया 71 डॉलर के पार | अनूप रॉय / मुंबई August 13, 2019 | | | | |
वैश्विक जोखिम की धारणा के बीच मंगलवार को भारतीय रुपया 0.85 प्रतिशत गिरकर 71 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया। स्थानीय मुद्रा का कारोबार 7 फरवरी के बाद 6 महीने के निचले स्तर 71.40 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। साथ ही सेंसेक्स 623.75 अंक गिरकर 36,958.16 अंकों पर बंद हुआ। बहरहाल रुपया और स्थानीय इक्विटी अपवाद नहीं हैं। हॉन्गकॉन्ग में असंतोष के बीच पूरी दुनिया में गिरावट रुख रहा। अर्जेटीना के पेसो में 35 प्रतिशत की गिरावट आई है, हालांकि डॉलर सूचकांक प्रमुख वैश्विक मुद्राओं की तुलना में स्थिर रहा। हालांकि इस क्षेत्र में रुपये में गिरावट सबसे ज्यादा रही है। उसके बाद इंडोनेशियाई रुपैया 0.52 प्रतिशत गिरा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत की बुनियादी धारणाएं धुंधली नजर आ रही हैं।
चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद के करीब 2.5 प्रतिशत पर बना हुआ है, कच्चे तेल के दाम स्थिर हैं और 60 डॉलर प्रति बैरल के नीचे हैं और राजनीतिक स्थिरता भी है, जो भारत के पक्ष में है। रुपये में आई तेज गिरावट को पिछली स्थितियोंं के तुलनात्मक अध्ययन से समझा जा सकता है. रिजर्व बैंक के रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (आरईईआर) सूचकांक के मुताबिक हाल में रुपये का 24 प्रतिशत ओवरवैल्युएशन हुआ है। क्वांटआर्ट मार्केट सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक समीर लोढ़ा के मुताबिक यह कारोबारी साझेदारों के साथ रुपये के महंगाई दर से समायोजन के प्रदर्शन को दिखाता है।
लोढ़ा ने कहा, 'इस तरह से कुछ मायने में यह एक समायोजन जैसा है और साल से तिथि के आधार पर कोरियाई वॉन और चीन के युआन का प्रदर्शन रुपये की तुलना में बहुत खराब रहा है।' फॉरेक्सरिजर्व के प्रबंध निदेशक सत्यजित कांजीलाल के मुताबिक अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी जंग के कारण इस समय बाजार में जोखिम से बचने की धारणा चल रही है, जिसकी वजह से युआन आगे और कमजोर होगा और अर्जेटीना के पीसो की गिरावट की वजह से आगे धारणा और कमजोर होगी। कांजीलाल ने कहा, 'फिलहाल रुपये के 72.30-40 से नीचे जाने की संभावना नहीं है। रुपये के थोड़ा कमजोर होने से देश के निर्यात की प्रतिस्पर्धा को बल मिलेगा।'
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