रियल एस्टेट को उबारने की कवायद | |
करण चौधरी और अरूप रायचौधरी / बेंगलूरु/नई दिल्ली 08 12, 2019 | | | | |
► किराया आवासीय इकाई में एफडीआई की अनुमति हो
► रियल एस्टेट क्षेत्र के ऋण पर जोखिम भारांश 100 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए
► आवास ऋण पर ब्याज दर सालाना 7 फीसदी से नीचे लाई जाए
► 31 मार्च, 2020 से पहले पंजीकृत होने वाले 60 वर्ग मीटर तक के आवासीय फ्लैट पर स्टांप शुल्क की दर 50 फीसदी कम की जाए
रियल एस्टेट डेवलपरों, उद्योग संगठनों और मकान खरीदारों के संगठनों के साथ अपनी तरह की पहली बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने क्षेत्र की तमाम चिंता पर आज चर्चा की। दो घंटे तक चली बैठक में वित्त मंत्री ने उद्योग के भागीदारों को नकदी संकट, नियमन तथा कर के मसले को दूर करने भरोसा दिया। साथ ही उन्होंने स्पष्टï किया कि मकान खरीदारों के हितों को प्राथमिकता दी जाए और सभी अटकी परियोजनाएं जल्द से जल्द पूरी की जाए। बैठक में उद्योग संगठनों में नारेडको, क्रेडाई, केंद्रीय सलाहकार परिषद, रेरा, फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल थे।
पुरी ने कहा, 'वित्त मंत्री ने आवास, कंपनी मामलों के मंत्रालय, राजस्व एवं वित्त विभाग के अधिकारियों, रेरा प्रतिनिधियों तथा उद्योग एवं मकान खरीदारों से मुलाकात की और कई मसलों पर चर्चा की। सरकार इन मुद्दों का आने वाले दिनों में समाधान निकालेगी। सरकार मकान खरीदारों की चिंता और अटकी परियोजनाओं का हल निकालने का प्रयास कर रही है।'
विभिन्न क्षेत्रों में नरमी दूर करने और मांग बढ़ाने के प्रयास के तहत सरकार पिछले कुछ दिनों से विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों के साथ बैठकें कर रही है। रियल एस्टेट क्षेत्र की स्थिति करीब चार साल से डांवाडोल है। ऐसे में उद्योग मांग बढ़ाने के लिए नियामकीय तथा कर में बदलाव के साथ ही साथ तरलता में सुधार की मांग कर रहा है।
नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'सरकार रियल एस्टेट क्षेत्र की मौजूदा समस्या से वाकिफ है। नकदी संकट का बड़ा मसला है। एनबीएफसी पहले पैसे दे रही थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। बैंक के पास 1.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक की नकदी है लेकिन वह रियल एस्टेट क्षेत्र को नहीं देना चाहते हैं। बैंकों को बाजार में पैसा लगाना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'वित्त मंत्री ने बजट में सुझाव दिया था कि सरकार किराया आवास नीति लाएगी। अटकी परियोजना के लिए कोष का प्रबंध किया जाएगा।' सुझाव दिया गया है कि अटकी परियोजनाओं को चिह्निïत करने के लिए कार्यबल का गठन किया जाएगा और यह पता लगाया जाए कि इसके लिए कितने पैसे की जरूरत होगी और कितने की वसूली हो सकती है। क्रेडाई ने सुझाव दिया कि रेरा को अटकी परियोजनाओं पर प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए। उनका मानना है कि अगर वित्तीय संस्थान रेरा के दायरे में आते हैं तो समस्या का तेजी से समाधान हो सकता है। वित्त मंत्री खास तौर पर अटकी परियोजनाओं पर अलग से बैठक कर सकती हैं।
|