धीमे परिदृश्य से एमऐंडएम के शेयर पर पड़ रहा दबाव | राम प्रसाद साहू / August 11, 2019 | | | | |
भारत की सबसे बड़ी ट्रैक्टर एवं यूटिलिटी वाहन कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) ने कमजोर परिचालन प्रदर्शन दर्ज किया है। अप्रैल-जून तिमाही की बिक्री में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की गिरावट से कंपनी पर दबाव पड़ा है। बिक्री में गिरावट ट्रैक्टर के संदर्भ में ज्यादा रही। ट्रैक्टर बिक्री एक साल पहले की तिमाही की तुलना में 14 प्रतिशत घटी है। हालांकि कीमत वृद्घि और बेहतर उत्पाद मिश्रण की वजह से राजस्व गिरावट 4 प्रतिशत पर सीमित रही। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में मांग कमजोर रहने से बिक्री पर दबाव अल्पावधि में बने रहने की आशंका है।
मांग के मोर्चे पर अनिश्चितता को देखते हुए कंपनी वाहन खंड के लिए वृद्घि अनुमान जताने से बच रही है। कंपनी प्रबंधन ने संकेत दिया है कि यात्री वाहन खंड में मांग में सुधार के संदर्भ में नियामकीय बदलाव की जरूरत है। कंपनी ने संकेत दिया है कि धीमी अर्थव्यवस्था के अलावा उत्पाद लागत में भारी तेजी (नियामकीय बदलावों से) की वजह से मांग प्रभावित हुई। जीएसटी को मौजूदा 28 प्रतिशत से घटाए जाने से भी कंपनी को मांग में सुधार आने की उम्मीद है। हालांकि मांग कमजोर हुई है, जिससे क्षेत्र की चिंता बढ़ेगी। इस क्षेत्र को 1 अक्टूबर से प्रभावी सुरक्षा मानकों की वजह से के लिए ऊंची लागत का सामना करना पड़ेगा और अगले बीएस-6 मानकों पर अमल की चुनौती से जूझना होगा। जहां सुरक्षा मानकों से एंट्री-लेवल वाहनों की बिक्री प्रभावित होगी, वहीं बीएस-6 से डीजल से चलने वाले वाहनों की लागत 8-10 प्रतिशत तक बढऩे की आशंका है।
हालांकि यात्री वाहन क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हुआ है, लेकिन कंपनी ने संकेत दिया है कि चार नई पेशकशों से इस प्रभाव को कम करने में मदद मिली है। जून तिमाही में यूटिलिटी वाहन बिक्री पिछले साल की तिमाही के समान ही रही, और खुदरा बिक्री भी सकारात्मक दायरे में रही, जिससे कंपनी को बाजार भागीदारी बढ़ाने में मदद मिलनी चाहिए। मध्यावधि के दौरान कंपनी का इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर बाजार के नजरिये से महत्वपूर्ण होगा। इलेक्ट्रिक तिपहिया के अलावा, वह यात्री वाहन खंड में तीन इलेक्ट्रिक वाहन पेश करने की भी संभावना तलाश रही है।
कंपनी के लिए मुख्य चिंता कृषि उपकरण (ट्रैक्टर) क्षेत्र में बिक्री में सुधार लाना। कमजोर मॉनसून, कम सरकारी खर्च, गैर-कृषिगत सेगमेंट में घटते ग्रामीण पारिश्रमिक, फसल की कम कीमत, और कमजोर ग्रामीण खर्च की वजह से मांग धीमी बनी हुई है। कंपनी का मानना है कि ट्रैक्टर क्षेत्र 2019-20 के लिए 5 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज करने में सक्षम नहीं हो सकता है, जैसा कि उसने पहले अनुमान जताया था। वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में बिक्री में भारी गिरावट को देखते हुए कंपनी का मानना है कि इस क्षेत्र के लिए बिक्री वृद्घि सपाट रहेगी।
ट्रैक्टर सेगमेंट के लिए सकारात्मक बदलाव यह है कि बारिश में कमी (जो एक महीने पहले 16 प्रतिशत पर थी) घटकर अब लगभग 6 प्रतिशत पर रह गई है। एक सप्ताह पहले का आधार पर इस सेगमेंट के लिए सकारात्मक है। बिक्री में गिरावट को देखते हुए परिचालन लाभ कमजोर पड़ा है। इससे तिमाही में मार्जिन प्रभावित हुआ। जून तिमाही में मार्जिन 180 आधार अंक घटकर 14 प्रतिशत पर रह गया जिससे विश्लेषकों को निराशा हाथ लगी है। हालांकि लागत कंपनी द्वारा अपनाई गई प्रबंधन रणनीतियों से गिरावट को नियंत्रित करने में मदद मिली है। जहां कमजोर बिक्री और बीएस-6 उत्सर्जन मानकों से कीमत वृद्घि की वजह से मार्जिन पर दबाव पड़ा है, वहीं कम जिंस लागत से कंपनी को दबाव की कुछ हद तक भरपाई करने में मदद मिल सकती है। वित्तीय परिणाम की घोषणा के बाद कंपनी का शेयर लगभग 6 फीसदी कमजोर हुआ है। मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए शेयर पर दबाव बने रहने के आसार हैं।
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