एमसीएक्स धातु कारोबार के लिए उठा रहा कदम | राजेश भयानी / मुंबई August 11, 2019 | | | | |
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) धातु खंड में घटते कारोबार से निपटने के लिए कई कदम उठा रहा है। सेबी के डिलिवरी आधारित निपटान को अनिवार्य बनाने के बाद इस वित्त वर्ष में अब तक एक्सचेंज में धातु कारोबार 30 फीसदी घट चुका है। एमसीएक्स ने प्रस्ताव रखा है कि नियामक 'भारत में कारोबार' के विचार को प्रोत्साहन दे और सभी प्रमुख धातु एवं खनन कंपनियों को अपनी कुल हेजिंग के एक छोटे हिस्से की हेजिंग भारतीय एक्सचेंजों पर करने के लिए कहे। इस समय हिंडाल्को जैसी बड़ी कंपनियां धातु कीमतों में अपने सभी जोखिमों की हेजिंग लंदन मेटल एक्सचेंज जैसे विदेशी एक्सचेंजों में कर रही हैं। एमसीएक्स के अधिकारी ने नियामकों के साथ बातचीत में प्रस्ताव रखा था कि बड़ी खनन और स्मेलटर कंपनियों के लिए अपनी जरूरत की कम से कम 10 फीसदी हेजिंग भारतीय एक्सचेंजों पर करना अनिवार्य बनाया जाए। एमसीएक्स के इस प्रस्ताव से पहले पिछले साल भारतीय रिजïर्व बैंक (आरबीआई) ने भी सोने की हेजिंग केवल स्थानीय एक्सचेंजों पर करने को अनिवार्य बनाने की अधिसूचना जारी की थी।
ये कंपनियां अपना भविष्य में होने वाला उत्पादन डेरिवेटिव्ज में बेचती हैं, जिससे लेनदेन बढ़ाने में मदद मिलती है और फंड हाउस जैसे संस्थागत निवेशकों को जिंसों में निवेश करने में मदद मिलती है। कुछ बड़ी आभूषण कंपनियों ने पिछले कुछ महीनों से ऐसा करना शुरू कर दिया है, जिससे हाल में सोने के अनुबंधों में लेनदेन और ओपन इंटरेस्ट बढ़ा है। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि इन बड़ी कंपनियों में से कुछ एमसीएक्स की सदस्यता ले रही हैं ताकि वे ब्रोकरों के जरिये कारोबार करने के बजाय अपनी इकाई के जरिये कारोबार कर पाएंगी।
धातुओं के लिए ज्यादा डिलिवरी केंद्र
अन्य प्रस्तावों में डिलिवरी केंद्र बढ़ाना भी शामिल है। इस समय हर धातु का केवल एक डिलिवरी केंद्र है और ज्यादातर केंद्र मुंबई (भिवंडी) में हैं। अभी तांबा, जस्ता, सीसा, निकल, टिन, एल्युमीनियम जैसी सभी धातुओं का निपटान डिलिवरी में होता है। यह प्रक्रिया अप्रैल से शुरू होती है। सभी धातुओं के डिलिवरी केंद्र मुंबई के बाहर हैं। सीसे का डिलिवरी केंद्र चेन्नई में था। अब इसका डिलिवरी केंद्र मुंबई में भी खोला गया है। एमसीएक्स के प्रबंधकों ने पिछले सप्ताह विश्लेषकों को बताया था कि वे डिलिवरी केंद्रों की संख्या बढ़ा रहे हैं ताकि डिलिवरी प्रक्रिया आसान बने। प्रबंधन ने धातुओं के घटते कारोबार के मद्देनजर यह प्रतिक्रिया दी थी। धातु कारोबार में 30 फीसदी गिरावट आ चुकी है। अनिवार्य डिलिवरी से भी बाजार भागीदारी पर असर पड़ा है। अप्रैल से जब भी निपटान की अवधि नजदीक आ रही है, तब बड़ी मात्रा में खरीद पोजिशन रखने वाले सटोरियों को इन पोजिशनों से बाहर निकलना या इन्हें रोल ओवर करना पड़ रहा है। अन्यथा उन्हें डिलिवरी लेनी पड़ती, जबकि वे अमूमन ऐसा नहीं करना चाहते हैं। उन्हें अंतर का नकदी में निपटान करना पड़ रहा है या पोजिशनों को रोल ओवर करना पड़ रहा है।
डिलिवरी की तलवार लटकने से भागीदारी और कारोबारी मात्रा में गिरावट आई है। यहां तक कि सटोरिया कारोबार में भी गिरावट आई है, जिसकी कारोबारी लेनदेन को बढ़ाने में अहम भूमिका होती है। ब्रोकर यह शिकायत कर रहे हैं। एक बड़े ब्रोकर ने नाम न प्रकाशित करने का आग्रह करते हुए कहा, 'अगर एक बार एक्सचेंज में धातुओं में कारोबार घट जाता है तो उसके लिए वापसी करना बड़ा मुश्किल होता है। पिछले कुछ महीनों के दौरान एक ही धातु के दो अनुबंधों में अंतर बढ़ा है, जिससे कारोबार करना मुश्किल हो गया है।'
केडिया कमोडिटीज के निदेशक अजय केडिया ने कहा, 'हाल के उतार-चढ़ावों के बाद एमसीएक्स में मूल धातुुओं में अंतर कम हो गया है और उचित स्तर पर आ गया है क्योंकि गैर-डिलिवरी आधारित अनुबंधों को डिलिवरी आधारित अनुबंधों में तब्दील कर दिया गया है। डिलिवरी आधारित निपटान का कदम हाजिर और डेरिवेटिव बाजार को जोडऩे की दिशा में उठाया गया है। इससे एमएसई को हेजिंग और डिलिवरी देने या लेने के लिए प्लेटफॉर्म मिलेगा।'
एक जिंस के लिए एक आकार का अनुबंध
एमसीएक्स प्रत्येक धातु के लिए एक अनुबंध का विकल्प अपना रहा है ताकि एक अनुबंध में लेनदेन की मात्रा अच्छी बनी रहे। एमसीएक्स में मुख्य अनुबंध के अलावा इन धातुओं के मिनी अनुबंध भी हैं, जिनका मकसद खुदरा भागीदारी सुनिश्चित करना है। एक्सचेंज ने आगे मुख्य या मिनी में से एक ही अनुबंध को रखने की योजना बनाई है।
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