वोडाफोन से हिस्सा नहीं खरीदेगा बिड़ला समूह! | देव चटर्जी / मुंबई August 11, 2019 | | | | |
आदित्य बिड़ला समूह की प्रवर्तक कंपनियां वोडाफोन आइडिया में अपने साझेदार वोडाफोन पीएलसी से अधिक कीमत पर शेयर खरीदने के बजाय शेयर मूल्य में गिरावट का फायदा उठाते हुए खुले बाजार से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं। साल 2017 में हुए समझौते के तहत बिड़ला समूह एकीकृत कंपनी वोडाफोन आइडिया में 130 रुपये प्रति शेयर मूल्य पर वोडाफोन से 9.5 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल कर सकता था। लेकिन 5.5 रुपये प्रति शेयर का मौजूदा मूल्य बिड़ला समूह के लिए शेयर बाजार से खरीदारी करने का अवसर लेकर आया है। इस शेयर खरीद योजना को वोडाफोन पीएलसी से मंजूरी मिल चुकी है।
दूरसंचार क्षेत्र की दो कंपनियों- आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन इंडिया- का विलय कर दिया था और प्रवर्तक कंपनियों ने एकीकरण के बाद बराबर हिस्सेदारी रखने की योजना बनाई थी। स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले दो महीने के दौरान कुमार मंगलम बिड़ला के नेतृत्व वाली कंपनियों ने खुले बाजार से वोडाफोन आइडिया में 0.4 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदी है। इसलिए कहा जा सकता है कि वोडाफोन आइडिया के शेयर मूल्य में गिरावट शेयर हिस्सेदारी बढाऩे के लिहाज से बिड़ला समूह के लिए फायदेमंद रही। पिछले एक साल के दौरान वोडाफोन आइडिया के शेयर में करीब 80 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। अप्रैल में कंपनी के राइड्ïस इश्यू के बाद उसका शेयर मूल्य घटकर लगभग आधा रह गया है।
बिड़ला के प्रवक्ता ने कहा, 'प्रवर्तक कंपनियों ने खुले बाजार से वोडाफोन आइडिया में अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदी है। यह अवसरों के आधार पर प्रवर्तक हिस्सेदारी को सामान्य तौर पर सुदृढ़ करने संबंधी योजना का हिस्सा है। हमने अपनी हिस्सेदारी इसलिए बढ़ाई है क्योंकि कीमत काफी आकर्षक है और हमारे आकलन के अनुसार बाजार कंपनी के वास्तविक मूल्य को परिलक्षित नहीं करता है।' शेयरधारक समझौते के तहत आदित्य बिड़ला समूह को एकीकृत कंपनी में वोडाफोन से 9.5 फीसदी तक हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार था। यह खरीदारी उस मूल्य पर करने के लिए सहमति जताई गई थी जिससे एकीकृत कंपनी का कुल शेयर मूल्य 94,600 करोड़ रुपये हो। लेकिन शुक्रवार को वोडाफोन आइडिया का शेयर 5.3 रुपये प्रति शेयर मूल्य तक लुढ़क गया जिससे कंपनी का कुल बाजार मूल्यांकन घटकर महज 15,400 करोड़ रुपये रह गया।
दोनों पक्षों के बीच हुए विलय समझौते में कहा गया है कि यदि दोनों प्रवर्तक पहले तीन साल के दौरान अपनी हिस्सेदारी बराबर करने में विफल रहते हैं तो आदित्य बिड़ला ग्रुप वोडाफोन को सूचित करेगा कि वह कितने शेयर (पहले तीन साल में अधिकतम 9.5 फीसदी से कम) हासिल करना चाहता है। उसके बाद आदित्य बिड़ला समूह के पास इस प्रकार की खरीदारी को पूरा करने के लिए 12 महीने का समय होगा। दिलचस्प है कि वोडाफोन और बिड़ला समूह दोनों ने अगस्त 2018 में विलय पूरा करने के बाद पहले तीन वर्षों की अवधि के दौरान शांत रहने के लिए सहमति जताई थी। इस दौरान कोई भी पक्ष दूसरे साझेदार की मंजूरी के बिना किसी तीसरे पक्ष के साथ शेयरों की खरीद-बिक्री नहीं कर सकता है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में कंपनी में दोनों प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 71.57 फीसदी थी। जून 2019 के अनुसार, वोडाफोन आइडिया में वोडाफोन पीएलसी की हिस्सेदारी करीब 43 फीसदी थी जबकि आदित्य बिड़ला समूह की हिस्सेदारी करीब 28.5 फीसदी थी।
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