आरबीआई का स्वर्ण भंडार चमका | राजेश भयानी / मुंबई August 09, 2019 | | | | |
विदेशी मुद्रा भंडार में सोना बढ़ाने की भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रणनीति ने फायदा दिखाना शुरू कर दिया है। हाल के पखवाड़ों में इस पीली धातु की बढ़ती कीमतों से मदद मिली है। केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा (करेंसी) भंडार में इजाफा किए बिना या कभी-कभार गिरावट के बावजूद कुल विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की है। प्रत्येक सप्ताह घोषित किए जाने वाले आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़ों के अनुसार जून के अंत में संपूर्ण भंडार में 400 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा थी जो 2 अगस्त को मामूली रूप से गिरकर 399 अरब डॉलर रह गई। आरबीआई द्वारा आज जारी किए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। हालांकि इस अवधि के दौरान कुल विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में स्वर्ण भंडार 2.2 अरब डॉलर बढ़ गया और विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण भंडार का कुल मूल्य 25.164 अरब डॉलर हो गया।
जून के आखिर में सभी परिसंपत्तियों समेत कुल विदेशी मुद्रा भंडार 427.68 अरब डॉलर था जिसमें 2 अगस्त तक केवल 1.27 अरब डॉलर की ही बढ़ोतरी हुई है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार एक सप्ताह पहले की तुलना में कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 2 अगस्त को समाप्त होने वाले सप्ताह के दौरान 697.2 करोड़ डॉलर तक की गिरावट आई है। इस कारण स्वर्ण भंडार में हुए इजाफे ने कुल भंडार की वृद्धि को सकारात्मक बनाए रखा। सोने की वजह से कुल विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है और यह मामला इस कारण महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि आरबीआई नीतिगत रूप से अपने भंडार में सोना शामिल नहीं कर रहा था। नवंबर 2009 में इसने 1,032 डॉलर प्रति औंस की कीमत पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोना खरीदा था। इसके बाद इसने मार्च 2018 में 2.4 टन खरीदा।
मार्च 2018 के बाद से आरबीआई ने 60 टन सोना खरीदा जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कुल सोना 618.2 टन हो गया। दिलचस्प बात यह है कि तब से अब तक उतार-चढ़ाव के साथ कुल विदेशी मुद्रा भंडार तो समान रहा लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण भंडार करीब 20 प्रतिशत बढ़ चुका है। नया सोना शामिल किए जाने और सोने के दामों में इजाफा होने के कारण ऐसा हुआ। सोने की कीमत का मूल्यांकन एक फॉर्मूले के अनुसार बाजार से निर्धारित किया जाता है और महीने में एक बार ऐसा किया जाता है।
सूत्रों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में सोना शामिल करने का फैसला रणनीति के तहत लिया गया है क्योंकि वैश्विक स्तर पर भी ज्यादातर केंद्रीय बैंक बदल रहे वित्तीय बाजार के जोखिम और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सुरक्षित निवेश के रूप में सोना शामिल कर रहे हैं। 2018 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने अपने भंडार में 651 टन सोना शामिल किया। इस अवधि में आरबीआई ने 42 टन सोना शामिल किया। नाम न छापने की शर्त पर बैंकिंग के एक अर्थशास्त्री ने कहा कि आरबीआई भी विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में सोना खरीद रहा था क्योंकि वह सरकार की ओर से सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड बेच रहा था। इन बॉन्ड में जोखिम के प्रति सुरक्षा नहीं थी लेकिन भंडार में सोना शामिल करना उस जोखिम के प्रति सुरक्षा की तरह ही है। सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पहली बार नवंबर 2015 में जारी किए गए थे और विश्व स्वर्ण परिषद द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि तब से आरबीआई 25.37 टन से अधिक ऐसे बॉन्ड बेच चुका है।
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