उद्योग जगत ने मांगा प्रोत्साहन पैकेज | अरूप रॉयचौधरी और शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली August 08, 2019 | | | | |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया है कि कंपनी अधिनियम में हाल में किए गए संशोधनों के बाद आए दंड प्रावधानों को उन कंपनियों पर लागू नहींं किया जाएगा, जो कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलटी (सीएसआर) मानकों को पूरा नहीं करतीं। नए कानून के दंड प्रावधानों में जेल की सजा देना भी शामिल है। गुरुवार को वित्त मंत्रालय में उद्योग संगठनोंं के सदस्यों व अन्य उद्योगपतियोंं के साथ हुई बैठक में सीतारमण ने यह आश्वासन दिया है। उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से 1 लाख करोड़ रुपये के 'क्विक फिक्स' प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है, जिससे कि मांग व खपत बहाल की जा सके क्योंकि इस समय नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के तहत आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है।
इस बैठक में कॉन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई), फेडरेशन आफ इंडियन चैंबर्स आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की), एसोसिएटेड चैंबर्स आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री आफ इंडिया, सेलुलर ऑपरेटर्स एसोएिशन आफ इंडिया के सदस्य शामिल थे। जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन ने सीतारमण के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत मेंं कहा, 'सीएसआर के दंड प्रावधानों पर चर्चा हुई। वित्त मंत्री की ओर से हमें यह आश्वासन दिया गया है कि जेल की सजा और दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।'
कंपनी अधिनियम में संशोधनों के मुताबिक, जिसे संसद ने पारित किया है, सीएसआर मानकों के उल्लंघन पर कंपनी व चूक करने वाले अधिकारियों पर 50,000 रुपये से 25 लाख रुपये तक जुर्माना और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को 3 साल तक जेल की सजा हो सकती है। एसोचैम के अध्यक्ष बीके गोयनका ने कहा कि उनके समूह ने घरेलू और वैश्विक बाजारों में मौजूदा मंदी को देखते हुए निवेश चक्र बहाल करने के लिए 'क्विक फिक्स' प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है। उन्होंने कहा, 'प्रोत्साहन पैकेज पेश कर अर्थव्यवस्था में तत्काल हस्तक्षेप किए जाने की जरूरत है। हमने 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के पैकेज का सुझाव दिया है।'
पीरामल इंटरप्राइजेज के अजय पीरामल ने कहा, 'वित्त मंत्री व मंत्रालय के सभी अधिकारियों ने बहुत ध्यान से सुना कि उद्योग जगत क्या कहना चाहता है। वे तीन घंटे तक थे। हमारी तरफ से उठाया गया मुख्य मसला व्यवस्था में नकदी की कमी को लेकर था। यह बैंकों के पास नकदी की कमी का मसला नहीं, बल्कि कर्ज न मिलने का मसला है। जहां तक एनबीएफसी का सवाल है, अर्थव्यवस्था पर दबाव है और एनबीएफसी के कारण अन्य उद्योगोंं पर भी असर पड़ रहा है, चाहे वह ऑटोमोबाइल हो, होम लोन हो या मझोले व छोटे स्तर के उद्योग हों।'
बैठक में उद्योग समूह इस बात पर एकमत थे कि बैंक, दरों में कई बार कटौती होने का फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। सीआईआई के उपाध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा, 'पिछले एक साल में फरवरी-जून 2019 के दौरान रीपो रेट में कुल 75 आधार अंक की कटौती हुई है, जबकि सरकारी बैंकों के मीडियम मार्जिनल कॉस्ट आफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में 10 आधार अंक की कटौती हुई है।' सीआईआई ने लघु बचत दरों में भी बाजार दरोंं की तर्ज पर कटौती करने की वकालत की है। उद्योग संगठनों ने कहा कि नकदी की कमी का असर छोटे व मझोले उद्योगों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है। फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा, 'रिजïर्व बैंक ने दरोंं में 110 आधार अंक की कमी की है, ऐसे में उद्योग जगत दरों में और कमी की उम्मीद कर रहा है क्योंकि वास्तविक ब्याज दरें अभी भी बहुत ज्यादा हैं।' वोडाफोन आइडिया के मुख्य कार्यकारी बालेश शर्मा ने कहा कि सीतारमण ने सचिवोंं से कहा कि वे विभिन्न उद्योग संगठनों की ओर से उठाए गए मसलों का समाधान करें, खासकर जीएसटी रिफंड अटके होने की मांग पर खास जोर दिया।
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