ऐसी खबरें हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएओ) ने राजस्व विभाग के अधिकारियों से इस साल कर लक्ष्य हासिल करने की योजना का ब्योरा मांगा है। पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों और अस्थायी आंकड़ों के बीच 1.67 लाख करोड़ रुपये का अंतर रहने के परिप्रेक्ष्य में पीएमओ ने यह कदम उठाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 17.05 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर दोनों) का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले यह 14.8 प्रतिशत अधिक है। हालांकि पिछले साल के अस्थायी आंकड़े 13.17 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले यह 29.5 प्रतिशत का इजाफा है। समझा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग से पूछा जा सकता है कि सालाना आधार पर राजस्व बढ़ोतरी हासिल करने के लिए क्या योजना तैयार कर रहा है? केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारियों ने कहा कि अंतरिम बजट में दिए आंकड़ों के मुकाबले पूर्ण बजट में आय कर संग्रह में कमी के बावजूद लक्ष्य वास्तविकता से काफी दूर है। व्यक्तिगत आयकर खंड में सीबीडीटी को 5.69 लाख करोड़ रुपये संग्रह का लक्ष्य दिया गया है। यह पिछले साल के अस्थयी आंकड़ों के मुकाबले 19.2 प्रतिशत अधिक है। इस बारे में एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'आयकर संग्रह का लक्ष्य हासिल करना खासा चुनौतीपूर्ण दिख रहा है। पिछले साल के रुझानों को ध्यान में रखकर लक्ष्य तय किया जाना चाहिए।' आयकर विभाग ने बजट बाद सलाह में वित्त वर्ष 2020 के लिए वास्तविक लक्ष्य तय करने पर जोर दिया है। इसकी वजह यह है कि वित्त वर्ष 2019 के लिए संग्रह संशोधित बजट लक्ष्य 12 लाख करोड़ रुपये से 60,000 करोड़ रुपये रहा। एक अधिकारियों ने सवालिया लहजे में पूछा, 'व्यक्तिगत आयकर खंड में आदर्श तौर पर लक्ष्य 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए था। आर्थिक वृद्धि सुस्त रहने के मद्देनजर अधिक कर संग्रह कैसे हो पाएगा?' बजट में वित्त मंत्री ने 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये कमाने वाले के लिए 25 प्रतिशत और 5 करोड़ रुपये से अधिक आय अर्जित करने वाले लोगों के लिए 37 प्रतिशत अधिभारर लगाने की घोषणा की है। इस कवायद से सरकार को 12,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा, 'धनाढ््य लोगों पर अधिभार लगा कर अधिक रकम जुटाने के अलावा फिलहाल व्यक्तिगत आयकर खंड में आंकड़े बढ़ाने वाला दूसरा कोई जरिया नजर नहीं आ रहा है।' वित्त वर्ष 2019 में भारत की विकास दर कम होकर पांच वर्षों के न्यूनतम सतर 6.8 प्रतिशत पर आ गई, जो सरकार के 7.2 प्रतिशत अनुमान से खासी कम रही। निवेश में कमी आने से चौथी तिमाही में विकास दर पिछली 20 तिमाहियों के निचले स्तर (5.8 प्रतिशत) पर गई।
