फंड हाउस बनेंगे इंटर-क्रेडिटर करार का हिस्सा | जश कृपलानी / मुंबई August 07, 2019 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को स्पष्ट किया कि म्युचुअल फंडों या अन्य लेनदारों के इंटर-क्रेडिटर करार का हिस्सा बनने पर उसे कोई परेशानी नहीं है, जहां बकाया कर्ज का एक हिस्सा गैर-बैंक इकाइयों की तरफ से दिया गया हो। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, जब बैंक वैयक्तिक मामले से निपटता है तो पता लगता है कि बकाया कर्ज का अच्छा खासा हिस्सा बीमा कंपनियों, म्युचुअल फंडों या अन्य वैयक्तिक इकाइयों का है। जब इंटर-क्रेडिटर करार में कंपनी का सिर्फ 50-60 फीसदी हिस्सा ही कवर होता है तो फिर आप बाकी 40-50 फीसदी के लिए कुछ नहीं करते हैं। ऐसे में पूरी देनदारी पर विस्तार से नजर डालना जरूरी है।
दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन के समाधान के मामले में इंटर-क्रेडिटर करार की प्रक्रिया में म्युचुअल फंडों के शामिल होने की मंजूरी बाजार नियामक सेबी की तरफ से अभी नहीं दी गई है। डीएचएफएल की प्रतिभूतियों में म्युचुअल फंडों का निवेश मई के आखिर में 4,184 करोड़ रुपये था और इस कंपनी में 160 योजनाओं के जरिए निवेश हुआ है। जून में निवेश का स्तर काफी कम रहा, लेकिन यह मोटे तौर पर जून में डीएचएफएल के डाउनग्रेड और डिफॉल्ट के चलते उद्योग के स्तर पर घटाए गए निवेश के चलते है।
दास ने कहा कि इंटर-क्रेडिटर करार के ढांचे पर वह अन्य नियामकों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हमारे डिप्टी गवर्नरों और सेबी व आईआरडीएआई के सदस्यों बीच अंतर-नियामकीय बैठक हुई। आईआरडीआई ने बीमा कंपनियों को इंटर-क्रेडिटर करार में शामिल होने की मंजूरी देने का फैसला लिया है। अन्य नियामकों के साथ हमारी बातचीत चल रही है। जब तक पूरे बकाए को विस्तार से नहींं देखा जाएगा, आप इस पर अच्छी प्रगति नहीं कर सकते। पेंंशन नियामक एवं विकास प्राधिकरण की तरफ से विनियमित पेंशन फंडों ने भी डीएचएफएल में निवेश किया है।
डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन का भी मानना है कि जब तक लेनदारोंं के बीच इस पर सहमति नहीं बनती कि दबाव वाली परिसंपत्तियों से कैसे निपटना है, तब तक परेशानी बनी रहेगी। यह पूछे जाने पर कि इंटर-क्रेडिटर करार का ढांचा अलग-अलग लेनदारों के पास रखे अलग गुणवत्ता वाले कोलेटरल से कैसे निपटेगा, विश्वनाथन ने कहा कि हमें इस पर कोई समस्या नहीं है अगर इंटर क्रेडिटर करार में हर लेनदारों के लिए अलग-अलग प्रावधान हो। सूत्रों ने कहा कि म्युचुअल फंड खुद को डीएचएफएल की समाधान प्रक्रिया में अनुचित व्यवहार नहीं चाहते, जिसकी अगुआई 27 बैंकों का कंसोर्टियम कर रहा है। एमएफ के फिक्स्ड इनकम के प्रमुख ने कहा, म्युचुअल फंडों को खुदरा निवेशकों के समान माना जाना चाहिए क्योंकि म्युचुअल फंडों को भी खुदरा निवेशकों से निवेश हासिल होता है। सूत्रों के मुताबिक, सेबी फंडों को इंटर-क्रेडिटर करार समर्थित समाधान प्रक्रिया का हिस्सा बनने की अनुमति दे सकता है।
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