भारतीय उद्योग जगत के कई दिग्गजों ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है लेकिन बड़ी संख्या में मुख्य कार्याधिकारियों का मानना है कि घटती ब्याज दरों, सामाजिक योजनाओं और बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं पर सरकार के खर्च में बढ़ोतरी के कारण अगले महीने से शुरू हो रहे त्योहारी मौसम में स्थिति में सुधार आएगा। उनका कहना है कि इससे उपभोक्ता मांग पर सकारात्मक असर होगा।
पिछले सप्ताह हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन के चेयरमैन दीपक पारेख, बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज और लार्सन ऐंड टुब्रो के चेयरमैन एएम नाइक ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई थी। बजाज ने कहा, 'बाजार में कोई मांग नहीं है और निजी निवेश नहीं आ रहा है, तो फिर अर्थव्यवस्था आगे कैसे बढ़ेगी? यह कोई आसमान से थोड़ी गिरती है।' नाइक का कहना था, 'अगर हम 6.5 फीसदी की विकास दर भी बनाए रख पाए तो हम भाग्यशाली होंगे। विकास की गति बढ़ाने में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा।'
पारेख ने कहा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों से ऋण नहीं मिल रहा है जिससे क्रेडिट तक पहुंच बंद हो गई है। उन्होंने कहा, 'उम्मीद की जा सकती है कि जल्दी ही सामान्य स्थिति बहाल होगी और त्योहारी मौसम आने तक स्थिति में सुधार आएगा।' पारेख ने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए बैंकों ने फिर से आत्मविश्वास जगाना बहुत जरूरी है।
दूसरे मुख्य कार्याधिकारियों ने भी त्योहारी मौसम और वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई है। उनकी उम्मीद का कारण ब्याज दरों में गिरावट है। उनका कहना है कि सितंबर से शुरू हो रहे त्योहारी मौसम के दौरान मांग में तेजी आएगी। अधिकांश विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आरबीआई रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है।
मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि इससे मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी। खासकर ऐसे ग्राहक बाजार में लौटेंगे जिन्होंने नई कार, मोटरसाइकिल और मकान खरीदने का फैसला अभी टाल रखा है। टाटा स्टील के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा, '2019 की पहली छमाही चुनौतीपूर्ण रही लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहेगा।
टीवी नरेंद्रन ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान खासकर चुनावों के आसपास देश में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहीं लेकिन आने वाले समय में इनमें तेजी आएगी। सरकार बुनियादी क्षेत्र में निवेश पर जोर दे रही है और साथ ही कई सामाजिक और आर्थिक उपायों का अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में अनुकूल प्रभाव देखने को मिलेगा। हाल में महीनों में वाहनों की बिक्री पर जबरदस्त दबाव रहा है और नरेंद्रन को उम्मीद है कि त्योहारी मौसम में मांग फिर जोर पकड़ेगी।
उन्होंने कहा, 'हम ग्रामीण मांग में भी तेजी की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि इस बार मॉनसून के सामान्य रहने का अनुमान है। नकदी की स्थिति सुधारने के लिए किए जा रहे उपायों से भी आने वाले महीनों में सकारात्मक असर दिखना चाहिए। चुनौतियों के बावजूद हम अर्थव्यवस्था और इसकी विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी हैं।'
दूसरे मुख्य कार्याधिकारी भी इससे सहमत हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और समूह के मुख्य वित्त अधिकारी शेषगिरि राव ने कहा, 'मॉनसून के पटरी पर लौटने, ब्याज दरों में कटौती और बुनियादी ढांचे पर सरकार के बढ़ते खर्च से वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। फंसे कर्ज के मामलों के समाधान की उम्मीद, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के प्रस्ताव और एनबीएफसी तथा आवास वित्त कंपनियों को क्रेडिट की उपलब्धता से उद्योग को ऋण की स्थिति बहाल होगी।'
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा, 'वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में राजकोषीय स्थिति से कोई समझौता किए बिना अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने के लिए कई सुधारवादी उपायों की घोषणा की। मैं भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घकालीन विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी हूं क्योंकि हमने 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है।' बिड़ला समूह ने पिछले पांच वर्षों के दौरान सीमेंट, दूरसंचार और वित्तीय सेवाओं में 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया है। साथ ही समूह ने विदेशों में भी कई कंपनियों का अधिग्रहण किया है।
बैंकरों का कहना है कि इस वित्त वर्ष में अब जो समय शेष रह गया है उसमें कॉरपोरेट क्रेडिट में औसतन 12 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि बैंक ब्याज दरों में कटौती का फायदा अपने ग्राहकों को देंगे। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी राजकिरण राय जी ने कहा, 'हमें अर्थव्यवस्था को लेकर नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। बुनियादी क्षेत्र मं अच्छा निवेश आ रहा है। निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था फिर उछाल मारेगी।'