आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र तरुण मेहता और स्वप्निल जैन ने संस्थान के इनक्यूबेशन सेंटर से महज 5 लाख रुपये की मदद पाने के बाद ऊंची उड़ान के सपने देखने शुरू कर दिए थे। 23 साल के दोनों दोस्तों ने बढिय़ा लीथियम-आयन बैटरी तैयार करने के लिए 2013 में नौकरियां भी छोड़ दीं। उनका उद्यम तब फंसता दिखा, जब उन्हें महसूस हुआ कि इस बैटरी के कद्रदान कम ही हैं। लेकिन दोनों ने हार नहीं मानी और देश का पहला प्रीमियम इलेक्ट्रिक स्कूटर तैयार कर दिया।
मेहता और जैन की स्टार्टअप एथर एनर्जी ने व्यावसायिक स्तर पर दो ई-स्कूटर पिछले साल बाजार में पेश किए। कंपनी को उम्मीद है कि इस साल वह बेंगलूरु, चेन्नई और हैदराबाद में 10,000 से ज्यादा स्कूटर बेच लेगी। कंपनी ने 2020 तक अपनी बिक्री पांच गुनी होने और 2023 तक 10 लाख का आंकड़ा छूने की योजना बनाई है। कंपनी को उम्मीद है कि उसके बाद 30 से ज्यादा शहरों की सड़कों पर उसके स्कूटर दौड़ने लगेंगे।
एथर के पास लैटिन अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप में निर्यात के मौके मिल सकते हैं क्योंकि वहां से इस बारे में पूछताछ की गई है। राइड शेयरिंग कंपनियों से गठजोड़ में भी उसे काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। निवेशक भी एथर एनर्जी के साथ हैं। यह वाहन क्षेत्र में सबसे ज्यादा निवेश हासिल करने वाला स्टार्टअप है। टाइगर ग्लोबल, सचिन बंसल और बिन्नी बंसल तथा हीरो मोटर्स जैसे निवेशकों से कंपनी को 800 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश प्राप्त हुआ है। मेहता और जैन हर साल 5 से 10 लाख स्कूटर बनाने की क्षमता वाला दूसरा कारखाना लगाना चाहते हैं और उसके लिए करीब 300 करोड़ रुपये जुटा भी चुके हैं। फिलहाल कंपनी साल में 25,000 स्कूटर बना सकती है।
कंपनी 110 सीसी और 125 सीसी क्षमता के दो नए स्कूटर मॉडल पर भी काम कर रही है। भविष्य में ई-मोटरसाइकिल लाने की भी उसकी योजना है। मेहता कहते हैं कि उन्होंने ई-स्कूटर एकदम नए सिरे से बनाया है और इसके शोध तथा विकास में काफी निवेश किया है। यही बात कंपनी को दूसरों से अलग बनाती है। उन्होंने कहा, 'उत्पाद विकास में प्रतिभाशाली और अनुभवी लोगों की काफी कमी है क्योंकि भारत में नए उत्पाद विकास के केवल तीन उदाहरण हैं - टाटा नैनो, टाटा इंडिका और बजाज पल्सर। इसलिए हमने जेएलआर से कुछ विशेषज्ञ लिए और फॉर्मूला स्टूडेंट डिजाइन ऐंड रेसिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले युवा इंजीनियरों को नियुक्त किया।'
उन्हें पता था कि केवल विदेशी इंजीनियरों के बल पर भारत के माफिक ई-स्कूटर नहीं बन सकता। मेहता ने कहा, 'आप 50 जर्मन इंजीनियर लेकर उत्पाद बना सकते हैं, लेकिन यह नाकाम हो जाएगा क्योंकि उन्हें लागत और उत्पाद के बारे में हमारी जरूरतों का पता ही नहीं होता।' यही वजह है कि एथर ने आरऐंडडी पर 300 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो ई-वाहन उद्योग में देश में सबसे बड़ा निवेश है। वर्ष 2015 में कंपनी के 100 कर्मचारियों में से 95 इंजीनियर थे। आज इसके 700 कर्मचारियों में से आधे शोध एवं विकास पर काम कर रहे हैं।
जब उन्होंने शुरुआत की थी तो मेहता और जैन ने केवल उच्च गुणवत्ता वाली लीथियम आयन बैटरी बनाने के बारे में सोचा था। लेकिन ग्राहकों को वे पसंद नहीं आईं। इसलिए उन्होंने प्रीमियम ई-स्कूटर पर काम शुरू कर दिया। लेकिन ई-स्कूटर के शोध एवं विकास में कोई निवेश करने को इच्छुक नहीं था। 40 लाख रुपये की शुरुआती पूंजी लगभग खत्म हो चुकी थी और इतने में दोनों महज 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले ई-स्कूटर का नमूना ही बना पाए थे।2014 में एथर के ई-वाहन वाहल को नया सहारा मिला। सचिन और बिन्नी बंसल ने 10 लाख डॉलर का चेक दिया और मेहता तथा जैन से अपना शोध एवं विकास कार्य जारी रखने को कहा। अगले साल टाइगर ग्लोबल ने 1 करोड़ डॉलर का निवेश किया। अब एथर अपने ई-स्कूटर के लिए कारखाना लगाने को तैयार थी।
अक्टूबर 2016 में इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाने का संस्थापकों का सपना और परवान चढ़ा। हीरो मोटर्स को उनके स्कूटर का नमूना पसंद आया और वह 205 करोड़ रुपये लगाने को तैयार हो गई। मेहता कहते हैं, 'यह हमारे लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला था और इससे इसके बाद वेंडरों को अपने साथ काम के लिए मनाना आसान हो गया।' उत्पादन के लिए एथर ने अपनी शोध एवं विकास (आरऐंडी) ताकत का भरपूर इस्तेमाला किया। स्कूटर में 70 फीसदी बौद्धिक संपदा (आईपी) एथर की ही है। इसमें बैटरी पैक, डैशबोर्ड, सॉफ्टवेयर, व्हीकल फ्रेम आदि शामिल हैं। उसने 70 से अधिक वेंडरों के साथ साझेदारी भी की है।हालांकि सड़क पर स्कूटर उतारना की काफी नहीं था। ग्राहकों को इसे खरीदने के लिए तैयार करना इससे भी बड़ी चुनौती थी।
पहली समस्या यह थी कि ई-स्कूटर पेट्रोल के स्कूटर से महंगा है और दूसरी समस्या यह थी कि उसे चार्ज करने के लिए समुचित बुनियादी ढांचा भी नहीं है। मगर बाद में एथर को लगा कि वह बेकार में ही इतनी परेशान हो गई है। ग्राहकों से बात करने पर पता चला कि करीब 95 फीसदी लोग रात में अपने घर पर ही ई-वाहन चार्ज कर लेते हैं। बहरहाल कंपनी ने बेंगलूरु में अब हर 4 किलोमीटर पर मुफ्त चार्जिंग स्टेशन लगा दिए हैं। अब वह दो-दो किलोमीटर पर ऐसे स्टेशन लगाना चाहती है। एथर के मुख्य कारोबारी अधिकारी रवनीत पोखेला कहते हैं, 'सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन यात्री कारों के लिए जरूरी हो सकते हैं, लेकिन दोपहियों के लिए ये बहुत बड़ी समस्या नहीं हैं। स्कूटर का रोजाना औसत इस्तेमाल 14 से 17 किलोमीटर के बीच होता है।'
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