सस्ते मगर छोटे होंगे नए मकान! | सोहिनी दास / मुंबई July 28, 2019 | | | | |
आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र में नए बनने वाले मकानों के दाम कम और उनका क्षेत्रफल कम हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतें कम रखने की कवायद के तहत यह किया जा सकता है। नैशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) ने हाउसिंग फाइनैंस फर्मों से कहा है कि जो बिल्डर खरीदार की तरफ से कर्ज चुकाने जैसी योजनाएं लाते हैं, उन्हें कर्ज देने से बचा जाए। इससे डेवलपरों का कर्ज महंगा हो जाएगा और इसका असर नई पेशकश पर पड़ेगा। हीरानंदानी कम्युनिटीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि आवासीय बाजार में तेजी सस्ती आवासीय परियोजनाओं से आएगी, जिनकी बिक्री ज्यादा है। उन्होंने कहा, 'छोटी इकाइयों और इसकी वजह से कम आकार के मकानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आवासीय रियल एस्टेट की कीमतें कम नहीं हो रही हैं क्योंकि जमीन के दाम बहुत ज्यादा हैं। बहरहाल नई पेशकश में कीमतें कम हो सकती हैं।'
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक अधिदेव चटोपाध्याय ने कहा, 'अगर हाल के सौदों का विश्लेषण करें तो मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन (एमआरआर) में कीमतों में तेजी जारी है। इन जमीनों के खरीदार संगठित कारोबारी हैं, जो प्रीमियम क्वालिटी के लिए जाने जाते हैं और परियोजनाओं पर काम करने में निश्चितता होती है। ऐसे में एमएमआर में जिन डेवलपरों की परियोजनाएं अटकी हैं, उनकी कीमतों में कमी सीमित रह सकती है।' रुनवाल ग्रुप ने केबल कॉर्पोरेशन आफ इंडिया से 8 एकड़ जमीन 530 करोड़ रुपये यानी 66.3 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के भाव ली है। यह ओबेराय रियल्टी द्वारा 2015 में 1,200 करोड़ रुपये में खरीदी गई 25 एकड़ जमीन यानी 48 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की तुलना में महंगा सौदा है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी हाल की रिपोर्ट में कहा है, 'सेंट्रल मुंबई जैसे ज्यादा आपूर्ति वाले बाजारों में तमाम निर्माणाधीन परियोजनाओं में प्लैटो के दाम 50 लाख रुपये से ऊपर हैं। मांग सुस्त बनी हुई है। डेवलपर उन दरों पर सौदे कर रहे हैं, जिस कीमत पर 6-7 साल पहले इन परियोजनाओं को पेश किया गया था।' इसलिए ऐसी परियोजनाओंं में अगर डेवलपर दाम नहीं घटाते हैं तो शुरुआती पेशकश के समय मकान खरीदने वाले अपनी बुकिंग रद्द करा सकते हैं। बहरहाल प्रतिष्ठित डेवलपर कीमतों को लेकर बंटे हुए हैं।
सनटेक रियल्टी के सीएमडी कमल खेतान ने कहा, 'पिछले 5 साल में कीमतें नहीं बढ़ी हैं (मुंबई महाानगरीय क्षेत्र में), जबकि डेवलपरों के कर्ज की लागत बढ़ी है। अगर आप इसमें महंगाई दर भी जोड़ लें, तो कहा जा सकता है कि कीमतों में सुधार पहले ही हो चुका है।' खेतान ने कहा कि उसी इलाके में नई पेशकश की कीमत भी उसी के आसपास है। उन्होंंने कहा कि बिल्डरों के कर्ज की लागत (जिनकी बैलेंस सीट अच्छी है और क्रेडिट रेटिंग भी बेहतर है) बढऩे की संभावना नहीं है। ऐसे बिल्डरों के लिए 9-10 प्रतिशत पर धन उपलब्ध है, जबकि कुछ को 15-18 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेना पड़ रहा है।
प्रतिष्ठित डेवलपर अपनी कीमतें स्थिर रखने में सक्षम रह सकते हैं, लेकिन नई पेशकश करने वाले छोटे कारोबारी दाम कम कर सकते हैं। मुंबई के एक विश्लेषक ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि नई पेशकश में कीमतें कम रहने की संभावना है। बहरहाल उनका कहना है कि मौजूदा परियोजनाओं में कीमतें कम होने की संभावना नहींं है। उन्होंने कहा, 'इसके पहले अगर डेवलपर फ्लैटों की बिक्री उन दरों से सस्ती दरोंं पर करने को कहते थे, जितना दिखाकर बैंक से कर्ज लिया गया है तो कर्जदाता उसके उतने फ्लैटों को रोक लेते थे, जिन पर कर्ज लिया गया हो और बाकी बेचने की इजाजत दे देते थे, जिससे वसूली हो सके। अब करीब सभी संपत्ति गिरवीं रखी हुई है और डेवलपर के पास कोई विकल्प नहीं है। इसकी वजह से बिल्डर अगर कीमतें कम कर तेजी से बेचना चाहते हैं तो उनके सामने अजीब स्थिति पैदा हो गई है।'
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक कीमतें पहले ही 10-15 प्रतिशत कम हो गई हैं। चटोपाध्याय ने कहा, 'डेवलपर समय से जुड़े 5-10 प्रतिशत छूट की पेशकश कर रहे हैं, भले ही परियोजना पूरी हो गई है। अगर कोई असल खरीदार दिलचस्पी दिखा रहा है तो कीमत कम करने को लेकर उनसे भी बात कर रहे हैं, जबकि सीधे तौर पर कीमतें नहीं घटा रहे हैं।'
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