उत्तर प्रदेश के बुलंशहर में रहने वाले राहद खान अब काफी खुश हैं। कुछ महीने पहले तक चार सदस्यों के परिवार को पालने वाले खान महीने में 15-18 हजार रुपये के करीब कमाते थे। आज उनकी आय दोगुने से भी ज्यादा होकर लगभग 42,000 रुपये महीना हो गई है। पहले उन्हें एक बार सामान ढुलाई के बाद दूसरी बार के लिए कई दिन इंतजार करना पड़ता था लेकिन अब उन्हें सामान उतारने से पहले ही अगले सफर की बुकिंग मिल जाती है। खान एक महीने में करीब चार सामान ढुलाई करते हैं और करीब 9,000 किलोमीटर का सफर तय करते हैं जबकि पहले वह महीने में मुश्किल से तीन बुकिंग ले पाते थे। खान के जीवन में यह बड़ा बदलाव उस समय आया जब उनके वाहन मालिक ने बेंगलूरु स्थित लॉजिस्टिक फर्म ब्लैकबक द्वारा वाहन चालकों के लिए बनाए गए आवाज संचालित बहुभाषीय ट्रैकिंग ऐप से अवगत कराया। 'ब्लैकबक-इनाम' नाम का यह ऐप डेटा साइंस के साथ साथ आधुनिक तकनीकों, जैसे टेलीमैटिक्स, कृत्रिम मेधा (एआई), मशीन लर्निंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि का उपयोग करके हजारों ट्रक चालकों की आय में इजाफा ला रहा है। भारत में ट्रकों का औसत उपयोग मात्र 33 प्रतिशत है और इनमें से अधिकांश बिना किसी सामान को भरे खड़े रहते हैं, खाली सड़क पर चलते रहते हैं या इनमें काफी कम सामान होता है और पूरी क्षमता का उपयोग नहीं होता। इसके विपरीत, ब्लैकबक से जुड़े चालक को विभिन्न जगहों से सामान की गारंटी दी जाती है जिससे दक्षता में सुधार किया जा सके। उदाहरण के लिए, चालक को गूगल मैप की सुविधा दी जाती है जिससे वह बेहतर तथा कम भीड़भाड़ वाले रास्ते से जा सके और चालक को रास्ते में पडऩे वाले पेट्रोल-डीजल पंप, टोल नाका और दूसरी जरूरी जगहों के बारे में बता सके। ब्लैकबक की ट्रैकिंग डिवाइस में जीपीएस तकनीक लगी होती है जो बैकएंड पर लगातार डेटा भेजती रहती है। इससे अनुमान लगा लिया जाता है कि वाहन चालक किस समय तक सामान को उतार देगा। इससे डिवाइस सबसे करीब उपलब्ध दूसरे काम के लिए सुझाव देता है। मांग और आपूर्ति के इस समन्वय और लगातार निगरानी से ट्रकों की दक्षता को बढ़ाया जाता है और चालकों की आय में काफी इजाफा हो रहा है। टेलीमैटिक्स प्रणाली में बिग डेटा और एनालिटिक्स का उपयोग होता है और यह रियल टाइम में सामान ले जाने के लिए ट्रक की मांग करने वाले किसी व्यक्ति से संपर्क स्थापित कराती है। इससे ट्रक का अधिकतम उपयोग, बेहतर शिपिंग सेवा और प्रभावी कीमत सुनिश्चित होती है। ब्लैकबक ट्रकों के लिए टायर, बीमा और कार्यशील पूंजी की सुविधा भी उपलब्ध कराती है। ब्लैकबक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी राजेश याबजी कहते हैं, 'हम माल ढुलाई सेवा से लेकर बीमा कारोबार तक एक अलग माहौल तैयार कर रहे हैं। हम ट्रकों को एक महीने में 30-40 प्रतिशत किलोमीटर अधिक चलने में मदद कर रहे हैं।' वह कहते हैं, 'हम जिस चुनौती पर काम कर रहे हैं, वह है अगला सामान कहां से उठाया जाए, माल ढुलाई की उचित कीमत क्या हो और निर्धारित स्थान पर पहुंचने का सबसे इष्टतम रास्ता क्या हो? यह सभी डेटा साइंस है और मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म की मदद से इस पर काम किया जा रहा है।' वाहन स्वामियों के लिए दूसरी बड़ी चुनौती सड़क पर होने वाली दुर्घटनाएं हैं। ब्लैकबक इस चुनौती से निपटने के लिए वाहन में 'डैशकैम' लगाता है जो वाहन चालक पर लगातार नजर बनाए रखता है। यह वाहन चालक की तस्वीर लेकर इसे कमांड सेंटर भेज देता है जो एल्गोरिद्म की सहायता से इन तस्वीरों का विश्लेषण करता है। एल्गोरिद्म इस बात का पता लगाता है कि क्या चालक को सुस्ती आ रही है, क्या वह फोन देख रहा है, बहुत तेज गति से वाहन चला रहा है या गलत तरीके से वाहन चला रहा है। अगर इनमें से कोई भी कारण दिखाई देता है तो यह तत्काल चुनौती अलार्म बजा देता है। अगर फिर भी चालक के तरीके में कोई सुधार नहीं दिखता तो वाहन मालिक को इस स्थिति की जानकारी दे दी जाती है। वाहन चालक भी इन सभी स्थितियों को स्वयं देख सकता है और अपने सभी वाहन चालकों के प्रदर्शन की तुलना कर सकता है। वाहन में लगे उपकरण वाहन की गति और ब्रेक में कमी का पता लगाते हैं, जिससे ट्रक दुर्घटना को रोका जा सके। याबजी कहते हैं, 'यह प्रणाली सड़क दुर्घटना की दर में 50 प्रतिशत तक की कमी करने में मदद करती है।' गुरुग्राम के रहने वाले ट्रक मालिक रामरतन सिंघी ब्लैकबक सेवाओं का सहारा लेते हैं। उनका कहना है कि अब उनका ट्रक पर पहले से काफी अधिक नियंत्रण है। उन्होंने कहा, 'चालक अधिक सतर्क हो गए हैं और वे सुरक्षित तरीके से वाहन चलाने के लिए प्रेरित हुए हैं।' सिंघी फ्यूल कार्ड, फास्ट टैग, वाहन ट्रैकिंग ऐंड टेलीमार्केटिंग डिवाइसें, तेल सेंसर और डैशकैम तैसी कई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। फिलहाल ब्लैकबक 3,00,000 से अधिक ट्रकों का प्रंबधन कर रही है और 60,000 से अधिक वाहन मालिक उनके प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हैं। कंपनी के निवेशकों में गोल्डमैन सैक्स, एस्सेल पार्टनर्स भी शामिल हैं और कंपनी ने उत्पाद निर्माण से लेकर डेटा साइंस के क्षेत्र में काफी शोध कार्य किया है। यबजी ने चाणक्य हृदय और बी रामसुब्रमण्यम के साथ मिलकर ब्लैकबक की स्थापना की थी और यह देश के 250 अरब डॉलर के ट्रक एवं संबंधित सेवाओं वाले बाजार में आगे निकलने की तैयारी कर रही है। आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार भारतीय लॉजिस्टिक क्षेत्र 2.2 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का स्रोत है। इस क्षेत्र में विकास से अप्रत्यक्ष लागत में 10 प्रतिशत तक की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5-8 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। साथ ही, समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि अगले दो साल में भारत का लॉजिस्टिक बाजार 215 अरब डॉलर का हो जाएगा, जो फिलहाल 160 अरब डॉलर है। गुरुग्राम स्थित लॉजिस्टिक फर्म रिविगो भी बिग डेटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और उनन्नत तकनीकों की मदद से रियल टाइम मांग-आपूर्ति समस्या को सुलझाने का प्रयास कर रही है। कंपनी सड़क पर यातायात की स्थिति के लिए मानचित्र तैयार कर रहा है और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है। रिविगो ने पिछले महीने नैशनल फ्राइट इंडेक्स लॉन्च किया जिसकी मदद से इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाई जा सके। भारत में करीब 90 प्रतिशत लॉजिस्टिक कारोबार नकद में ही होता है। तकनीक की मदद से रिविगो इनमें से अधिकांश लेनदेन को अपने प्लेटफॉर्म पर लाने में सक्षम रही है। भारत में करीब 230 छोटे ट्रक बाजार हैं जहां आपसी बातचीत से ही कीमतें निर्धारित होती हैं लेकिन रिविगो के तकनीकी प्लेटफॉर्म की मदद से सभी लाइव कीमतें देख सकेंगे। इस क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुआ बड़ी संख्या में डिजिटल ट्रक सेवा स्टार्टअप शुरू हुए हैं। इनमें से एक है मव्यन, जिसने साल 2017 में परिचालन शुरू किया। लॉजिस्टिक क्षेत्र के लोकप्रिय ब्रांड चेतक समूह के सचिन हरिताश ने मव्यन की स्थापना की और उनका उद्देश्य न्यूनतम लागत की मदद से ट्रक उद्योग के सभी हितधारकों तक लाभ पहुंचाना है। कंपनी के ग्राहकों में ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी फ्लिपकार्ट के साथ साथ हिंदुस्तान यूनिलीवर और पेप्सिको आदि शामिल हैं।
