संबंधित पक्षकारों के सौदों में आई गिरावट | सचिन मामबटा और समीर मुलगांवकर / मुंबई July 24, 2019 | | | | |
देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो से जुड़े संबंधित पक्ष के लेनदेन को लेकर जारी विवाद के बीच आंकड़ों से पता चलता है कि हाल के वर्षों में भारतीय उद्योग जगत ने इस प्रकार के लेनदेन से वास्तव में परहेज किया है। संबंधित पक्ष के लेनदेन में कंपनी के प्रमुख अधिकारियों की हिस्सेदारी हो सकती है। कैपिटालाइन द्वारा संकलित मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए अधिकतर कंपनियों के वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले कुछ वषों के दौरान संबंधित पक्ष के लेनदेन के मूल्य में लगातार गिरावट आ रही है।
इंडिगो का परिचालन करने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया के बीच संबंधित पक्ष के लेनदेन में कथित अनियमितताओं को लेकर विवाद चल रहा था। बाद में एक सह-संस्थापक द्वारा इस मुद्दे पर बाजार नियामक सेबी को लिखे जाने के बाद कंपनी के शेयर में करीब 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। संबंधि पक्ष के लेनदेन के एक विश्लेषण से पता चलता है कि इस प्रकार के सौदों का मूल्य वित्त वर्ष 2019 में बिक्री का करीब 11.5 फीसदी रहा। यह विश्लेषण एसऐंडपी बीएसई 100 सूचकांक में शामिल कंपनियों द्वारा अब तक घोषित वार्षिक नतीजों पर आधारित है। इस विश्लेषण में मुख्य तौर पर 31 कंपनियों पर गौर किया गया है जिनके वार्षिक नतीजे जारी हो चुके हैं और आंकड़े पिछले पांच वर्षों से तुलनीय हैं। कुछ कंपनियों का वित्त वर्ष दिसंबर में समाप्त होता है और इन कंपनियों को भी विश्लेषण में शामिल किया गया है।
विश्लेषण से पता चलता है कि बिक्री के प्रतिशत के रूप में इस प्रकार के लेनदेन के मूल्य में पिछले तीन वर्षों के दौरान गिरावट आई है और यह वित्त वर्ष 2016 में 17.1 फीसदी की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद फिलहाल नीचे है। संबंधित पक्ष के लेनदेन का मूल्य कुल परिसंपत्ति के 5 फीसदी के बराबर हैं। यह वित्त वष्ज्र्ञ 2015 के बाद दूसरा सबसे निचला स्तर है। वित्त वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 3.7 फीसदी रहा था। जबकि अन्य वर्षों के दौरान यह आंकड़ा 5.4 फीसदी से 6.6 फीसदी के दायरे में रहा।
आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि इस प्रकार के लेनदेन के मूल्य में वृद्धि की रफ्तार शुद्ध बिक्री और कुल परिसंपत्तियों के मुकाबले कम रही। मुनाफे और घाटे की श्रेणी में दर्ज इस प्रकार के लेनदेन के मूल्य में वित्त वर्ष 2015 के बाद 2.2 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि शुद्ध बिक्री में 8.8 फीसदी का इजाफा हुआ। बहीखाते पर दर्ज सौदों के मूल्य में 5.4 फीसदी का इजाफा हुआ। जबकि कुल परिसंपत्तियों में 11.6 फीसदी की वृद्धि हुई। प्रॉक्सी सलाहकार फर्म इनगवर्न के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, 'कंपनियां इस प्रकार के सौदों को लेकर कहीं अधिक सवालों का सामना कर रही हैं।' यह भी एक कारण हो सकता है कि संबंधित पक्ष के लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि पर लगाम लग गई है। उन्होंने कहा, 'साथ ही कंपनियां अब कहीं अधिक निगरानी में हैं।' उन्होंने कहा कि शेयरधारक भी अब इस प्रकार के लेनदेन को लेकर कहीं अधिक सवाल करने लगे हैं।
प्रॉक्सी सलाहकार फर्म स्टेकहोल्डर्स एम्पावरमेंट सर्विसेज के प्रबंध निदेशक जेएन गुप्ता के अनुसार, संबंधित पक्ष के लेनदेन को लेकर शेयरधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए अभी भी काफी काम करने की जरूरत है। कई शेयरधारक अभी भी ऐसे मुद्दों के खिलाफ मतदान नहीं करते हैं।
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