छत्तीसगढ़ में 200 मेगावॉट क्षमता का सबसे पुराना बिजली संयंत्र इतिहास बन जाएगा। राज्य सरकार ने इसकी व्यवहारिकता की जांच करने के बाद इसे बंद करने का फैसला किया है। इस संयंत्र को 1966 में कोरबा ईस्ट थर्मल पावर स्टेशन में स्थापित किया गया था। इसमें 50-50 मेगावॉट की चार इकाइयां हैं। करीब दो साल पहले इन चारों इकाइयों से बिजली उत्पादन रोक दिया गया था। छत्तीसगढ़ राज्य बिजली उत्पादन कंपनी (सीएसपीजीसी) के प्रवक्ता ने कहा, 'उत्पादन और रखरखाव की ऊंची लागत और पर्यावरण को खतरे की आशंका के कारण ताप बिजलीघर को 2017-18 में बंद कर दिया गया था।' राज्य के मंत्रिमंडल ने हाल ही में इन इकाइयों को स्थायी रूप से बंद करने का फैसला किया। कोरबा जिले में स्थित कोरबा ईस्ट थर्मल पावर स्टेशन के पास चार पुरानी इकाइयों के अलावा 120 मेगावॉट की दो इकाइयां हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इन दोनों इकाइयों में उत्पादन जारी रहेगा। राजधानी रायपुर से 250 किमी दूर कोरबा जिले में सीएसपीजीसी की कई प्रमुख बिजली परियोजनाएं हैं। इस इलाके में कोयले के समृद्घ भंडार हैं जिसके कारण बिजली उत्पादक कंपनियों ने यहां अपनी इकाइयां स्थापित की हैं। रियायत के कारण राज्य में बिजली की खपत में बढ़ोतरी हुई है लेकिन सीएसपीजीसी का दावा है कि 200 मेगावॉट के बिजली संयंत्र को बंद करने से बिजली की आपूर्ति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। प्रवक्ता ने कहा, 'राज्य की कुल स्थापित क्षमता 3424 मेगावॉट है और 200 मेगावॉट स्टेशन के बंद होने के बावजूद राज्य के पास 150 से 200 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली होगी।' अगर राज्य में बिजली की कमी होती है तो वह केंद्रीय पूल से बिजली ले सकता है।
