आम्रपाली समूह का रेरा पंजीकरण रद्द | |
आशिष आर्यन और अर्णव दत्ता / नई दिल्ली 07 23, 2019 | | | | |
► एनबीसीसी को अधूरी परियोजनाएं पूरी करने का निर्देश
► अदालत ने कहा, आम्रपाली ने बैंकों, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मिलीभग से खरीदारों के साथ की धोखाधड़ी
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आम्रपाली समूह के खरीदारों को बड़ी राहत दी। न्यायालय ने इस समूह की कंपनियों की अधूरी परियोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी इंडिया को सौंपी है। इसके साथ ही न्यायालय ने घर खरीदारों के साथ फर्जीवाड़ा करने और उनकी रकम का इस्तेमाल अन्यत्र करने पर कड़े तेवर अपनाते हुए रियल एस्टेट नियमक एवं विकास अधिनियम (रेरा) के तहत समूह की कंपनियों का पंजीकरण रद्दे करने फरमान सुनाया।
न्यायालय ने यह भी कहा कि आम्रपाली की अटकीं परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने वाले खरीदारों को शेष रकम तीन महीने में उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाले बैंक खाते में रकम जमा करनी होगी। न्यायालय ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर कंपनी ने फ्लैट खरीदारों के गंभीर फर्जीवाड़ा किया है। न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश यू यू ललित के पीठ ने कहा कि आम्रपाली समूह ने छद्म कंपनियां खड़ी करने, नकली बिल तैयार करने, कम कीमतों पर फ्लैट बेचने और ब्रोकरेज कंपनियों को मोटी रकम देने के लिए फ्लैट खरीदारों की रकम का बेजा इस्तेमाल किया।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार न्यायालय के इस आदेश से एक मिसाल पेश होगी और इससे देश भर में हजारों घर खरीदारों को राहत मिलेगी। पुरी ने कहा, 'यह एक सराहनीय फैसला है, जिसका भारत के आवासीय रियल एस्टेट बाजार पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।' एनारॉक रिसर्च के अनुसार 2013 में या इससे पहले शुरू हुईं रियल एस्टेट परियोजनाएं अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं। कंपनी के अनुसार 4,64,300 करोड़ रुपये मूल्य की 5,75,900 आवासीय इकाइयां घर खरीदारों को अब तक नहीं मिली हैं।
न्यायालय के इस अहम निर्णय पर जेएलएल इंडिया के प्रबंध निदेशक (रेसिडेंशियल सर्विसेस, डेवलपर सल्यूशंस ऐंड स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग) शिव कृष्ण ने कहा, 'इस फैसले से सभी प्रभावित माकन खरीदारों को राहत मिलेगी, साथ ही रियल एस्टेट बाजार में खरीदारों का खोया उत्साह भी बढ़ेगा। न्यायालय ने यह बात भी साफ कर दिया है कि गैर-पेशेवर और अवैध तरीके से कारोबार करने वाले लोगों एवं इकाइयों के लिए कोई जगह नहीं है। आम्रपाली जैसी घटनाओं से घर खरीदार जोखिम से बचने लगे हैं और निर्माणाधीन परियोजनाओं के बजाय तैयार फ्लैट खरीद रहे हैं।'
उच्चतम न्यायालय ने बैंकों, नोएडा और गे्रटर नोएडा प्राधिकरणों को भी लताड़ा। न्यायालय ने कहा कि बैंकों और इन प्राधिरकणों की मिलीभगत के बिना आम्रपाली समूह ऐसा कभी नहीं कर पाती। आम्रपाली समूह के अलावा न्यायालय ने नोएडा, गे्रटर नोएडा और अन्य राज्यों में इस तरह की अन्य परियोजनाओं का पता लगाने और रेरा दिशानिर्देशों के तहत इन्हें समय रहते पूरा कराने का निर्देश दिया। न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा एवं कंपनी के अन्य निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए कथित धन शोधन की जांच का भी निर्देश दिया है। न्यायालय ने अधिवक्ता आर वेंकटरमणी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया। न्यायालय ने कहा कि वेंकटरमणी के पास यह अधिकार रहेगा कि वह बकाया वसूली के लिए आम्रपाली की संपत्तियों की बिक्री के लिए तीसरे पक्ष से करार कर सकेंगे।
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