तेल की बढ़ी कीमतों से रसोई बेहाल | बीएस संवाददाता / वाराणसी July 22, 2019 | | | | |
बजट में पेट्रोल-डीजल पर लगे ढाई रुपये प्रति लीटर उपकर का असर अब मेवा, मसाला, सब्जियों का दाम पर नजर आने लगा है। साथ ही बारिश और बाढ़ ने स्थिति और बिगाड़ दी है। अफगानिस्तान से आयात होने वाले किसमिस, चिरौंजी, छुहाड़ा (मेवा), बांग्लादेश से काजू प्लाशा, और दक्षिण भारत से आने वाले मखाना व नारियल की बहुत मांग है। यही स्थिति मसालों की भी है। काली मिर्च कोलकाता से पहुंचती है तो हल्दी, जीरा सौंफ समेत विभिन्न मसाले इत्यादि भी प्रदेश के बाहर से आपूर्ति किये जाते है। ऐसे में सभी के भाव चढ़ गए हैं। वाराणसी में पूर्वाचल की बड़ी मंडी होने से आसपास के जिलों राज्यों के कारोबारी यहां से ही कारोबार करते हैं। वहीं सभी मेवा व मसाला के भाव में वृद्धि से कारोबारियों संग आम लोगो को खरीदारी करनी भारी पड़ रही है। पिछले 15 दिनों में मेवा और मसालों में 25 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। किसमिस 125 रुपये किलो से 340 रुपये किलो हो गया है। काजू 550 से बढ़कर 900 रुपये, मखाना 550 से बढ़कर 900 रुपये किलो, नारियल 170 से बढ़कर 250 रुपये किलो पहुंंच गया है। इसी तरह काली मिर्च 400 रुपये किलो से बढ़कर 550 रुपये किलो, जीरा 170 से बढ़कर 250 रुपये किलो तक पहुंच गया है।
बारिश व बाढ़ की वजह से सब्जियों के भाव भी चढ़े हैं। परवर 30-35 से बढ़कर 60-80 रुपये प्रति किलो, टमाटर 100 रुपये किलो के भाव है। आम 40 से 60 रुपये किलो बिक रहा है। बीते एक सप्ताह के अंदर आलू, प्याज, भिंडी, शिमला मिर्च, नेनुआ, लौकी सहित करीब सभी सब्जियों की कीमत बढ़ी है। सब्जी व्यवसायी कल्लू सोनकर ने बताया कि सब्जियां महंगी होने का मुख्य कारण पहले गर्मी थी, लेकिन अब बारिश और बाढ़ है। अधिकतर सब्जी वाराणसी के आस-पास के क्षेत्रो से आती है। गर्मी से खेतो में ही सब्जी सूख कर खराब हो जा रही थी वहीं अब बारिश से खेतो में पानी भर गया है। कारोबारी प्रतीक गुप्ता ने बताया कि डीजल के मूल्य की वृद्धि का असर तो महंगाई के रूप में सामने आना ही था। मेवा, मसाले का कारोबार गैर प्रांतों, देशों से जुड़ा होने से भाव में तेजी आई है। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जेपी तिवारी ने बताया कि पेट्रोल पंप पर सरकार के निर्णय का असर करीब ढाई रुपये बढ़ोतरी के रूप में सामने आया, ऐसे में भाड़ा बढ़ाना तो मजबूरी है।
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