पी-नोट्स के जरिए एफपीआई निवेश घटा | भाषा / July 22, 2019 | | | | |
पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के माध्यम से भारतीय प्रतिभूति बाजार में किया गया विदेशी निवेश जून के अंत में गिरकर 81,913 करोड़ रुपये रह गया। इससे पहले पिछले चार महीनों से इसमें वृद्धि हो रही थी। पी-नोट्स भारत में पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा विदेश में अपने ग्राहकों को जारी किए जाने वाले डेरिवेटिव अनुबंध होते हैं। इन अनुबंधों के तहत लगाई जाने वाली पूंजी भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश की जाती है। ऐसे विदेशी निवेशक जो भारतीय शेयर बाजार में सीधे पंजीकरण कराए बिना निवेश करना चाहते हैं, वे पी-नोट का रास्ता अपनाते हैं।
फरवरी के अंत में पी-नोट्स के जरिए कुल निवेश 73,428 करोड़ रुपये था। मार्च के अत में यह आंकड़ा 78,110 करोड़ रुपये, अप्रैल में 81,220 करोड़ रुपये और मई के अंत में 82,619 करोड़ रुपये था। बाजार नियामक सेबी के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार शेयर, ऋण और डेरिवेटिव बाजार में पी-नोट्स के जरिए होने वाला निवेश जून के अंत तक गिरकर 81,913 करोड़ रुपये रह गया। इसमें 56,664 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में, 24,428 करोड़ रुपये बॉन्ड और 821 करोड़ रुपये घरेलू डेरिवेटिव अनुबंधों में किया गया था। इस प्रकार जून के अंत में पी-नोट्स का निवेश मई के 82,619 करोड़ रुपये के मुकाबले 0.85 फीसदी कम हो गया। ग्रो के सह-संस्थापक ईशान बंसल ने कहा कि वर्ष 2017 से पी-नोट्स के जरिए निवेश का आर्षण कम हुआ है। इसका बड़ा कारण नियामकीय संस्थानों द्वारा इस रास्ते से निवेश को हतोत्साहित करने के लिए उठाए जाने वाले कदम हैं। पंजीकरण की प्रक्रिया सरल बनाए जाने के बाद पिछले कुछ महीनों से बहुत से पी-नोट्स निवेशक अपने को एफपीआई के रूप में बदल रहे हैं।
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