समिति की रिपोर्ट... ► रिपोर्ट में ट्रेड फाइनैंशियल जैसे क्षेत्रों में डीएलटी का इस्तेमाल कर केवाईसी की लागत घटाने और ऋण तक पहुंच बढ़ाने का किया प्रस्ताव ► डेटा के स्थानीय स्तर पर भंडारण को सावधानी से लागू किया जाए ताकि भारतीय कारोबार पर प्रतिकूल असर न पड़े ► निजी क्रिप्टोकरेंसी में कोई अंतर्निहित आंतरिक मूल्य नहीं है। सरकार द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी के अलावा इस तरह की सभी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगना चाहिए ► क्रिप्टोकरेंसी के किसी भी तरह के इस्तेमाल पर एक से दस साल तक की हो सकती है सजा ► अगर सरकार डिजिटल मुद्रा लाती है तो इसका नियमन आरबीआई करेगा ► समिति ने सेबी को निर्गम जारी करने की मौजूदा व्यवस्था के विकल्प के रूप में आईपीओ और एफपीओ के लिए डीएलटी के इस्तेमाल पर विचार करने का सुझाव देश में क्रिप्टोकरेंसी पर बनी सरकारी समिति ने भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने और इनसे संबंधित लेनदेन करने वालों के लिए 10 साल तक की सजा की सिफ ारिश की है। समिति ने केंद्रीय डिजिटल करेंसी लाने पर भी विचार करने का सुझाव दिया है। हालांकि समिति ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए उपयोग में लाई जाने वाली तकनीक, डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) वित्तीय कारोबार, केवाईसी लागत में कमी लाने और क्रेडिट ऐसेट बेहतर करने के साथ साथ देश के वित्तीय और गैर-वित्तीय क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकती है। वर्चुअल करेंसी के संबंध में महत्त्वपूर्ण कदम की अनुशंसा करने वाली समिति की अध्यक्षता वित्त सचिव सुभाष गर्ग कर रहे थे और इसमें इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अजय प्रकाश साहनी, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के अध्यक्ष अजय त्यागी और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बी पी कानूनगो भी शामिल थे। नवंबर 2017 में इस समिति का गठन किया गया था और एक साल की देरी के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।क्रिप्टोकरेंसी तथा आधिकारिक डिजिटल करेंसी के नियमन से संबंधित मसौदा विधेयक सोमवार को सार्वजनिक किया गया। अब सरकार रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और विधेयक पर किसी भी निर्णय से पहले संबंधित नियामकों तथा विभागों से बातचीत की जाएगी। रिजर्व बैंक द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले समिति की रिपोर्ट सामने आई है। समिति ने कहा है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है। इनमें किसी मुद्रा की खूबियों का अभाव है और इनका कोई निर्धारित मूल्य नहीं है। निजी क्रिप्टोकरेंसी न तो मूल्य के भंडार के रूप में कार्य करती है और न ही विनिमय का माध्यम हैं। समिति ने यह भी कहा कि शुरुआत से ही निजी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। विधेयक के मसौदे के मुताबिक जो कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से क्रिप्टोकरेंसी ढालता है, इसे बनाता है, रखता है, बेचता है, इसका कारोबार करता है, हस्तांतरण करता है, निपटारा करता है या जारी करता है, उस पर जुर्माना लगाया जाएगा या उसे एक साल से दस साल तक की कैद या दोनों हो सकते हैं। समिति का मानना है कि आधिकारिक डिजिटल करेंसी पर विचार करने के लिए वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग एक समिति का गठन कर सकता है। इसमें आरबीआई, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय तथा वित्तीय सेवा विभाग के प्रतिनिधि शामिल किए जा सकते हैं। अगर देश में आधिकारिक डिजिटल करेंसी लाने का फैसला होता है तो इसका नियमन आरबीआई के पास होना चाहिए। डीएलटी के मुद्दे पर समिति का कहना है कि वित्त मंत्रालय और आरबीआई, सेबी, आईआरडीए, पीएफआरडीए को डीएलटी के इस्तेमाल की पहचान करनी चाहिए। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय और जीएसटी नेटवर्क को प्रौद्योगिकी सहायक की भूमिका निभानी होगी। समिति ने वित्त और इससे जुड़े क्षेत्रों में डीएलटी के इस्तमेाल के नियमन और इसे बढ़ावा देने के लिए विधेयक के मसौदे में एक विशेष कानून बनाने का भी प्रस्ताव किया है। हालांकि समिति का कहना है कि डेटा को स्थानीय स्तर पर रखने के लिए डेटा संरक्षण कानून में प्रस्तावित जरूरतों को सावधानी से लागू किया जाना चाहिए ताकि भारतीय कंपनियों और उपभोक्ताओं पर इसका प्रतिकूल असर न पड़े। समिति ने सेबी को निर्गम जारी करने की मौजूदा व्यवस्था के विकल्प के रूप में आईपीओ और एफपीओ के लिए डीएलटी के इस्तेमाल पर विचार करने का सुझाव दिया है।
