जीवन बीमा कंपनियों पर टीडीएस से असमंजस | तिनेश भसीन / July 22, 2019 | | | | |
बजट में कुछ जीवन बीमा पॉलिसियों के संबंध में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) में बदलाव से संबंधित बजट प्रस्ताव ने कर विशेषज्ञों को असमंजस में डाल दिया है। कर विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) स्थिति स्पष्ट नहीं करता है तब तक समीक्षा अधिकारी मनमाने तरीके से नियमों की व्याख्या करेंगे, जिससे करदाताओं को परेशानी पेश आएगी। मौजूदा नियमों के अनुसार जब किसी पॉलिसी का सालाना प्रीमियम बीमित राशि का 10 प्रतिशत से अधिक हो जाता है तो बीमा कंपनियां कुल भुगतान की रकम पर 1 प्रतिशत कर काट लेती हैं। अब सरकार ने पॉलिसी से होने वाले केवल लाभ (पॉलिसी से होने वाली आय) पर 5 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव दिया है।
हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसी जीवन बीमा कंपनियों पर लाभ की गणना कैसी की जानी चाहिए। अन्स्र्ट ऐंड यंग में टैक्स पार्टनर ऐंड इंडिया मोबिलिटी अपरपाल एस चड्ढा कहते हैं, 'फिलहाल ऐसी पॉलिसियों से परिपक्वता पर मिलनी वाली रकम पर कराधान को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है कि आय को पूंजीगत लाभ के रूप में देखा जाए या दूसरे स्रोतों से प्राप्त आय के रूप में।' टीडीएस के मद में भुगतान होने वाली रकम का निर्धारण गणना की विधि पर निर्भर करेगा। टैक्समैन डॉट कॉम में चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन वाधवा कहते हैं, 'अनुच्छेद194डीए के प्रावधानों में संशोधन हुए हैं, लेकिन इनमें बीमा पॉलिसी से प्राप्त रकम पर कर योग्य आय की गणना के लिए किसी विधि का जिक्र नहीं किया गया है।' उदाहरण के किए किसी व्यक्ति ने 2013 में 50 लाख बीमित राशि के साथ एकल प्रीमियम वाली पॉलिसी खरीदी थी। उस व्यक्ति ने एकल प्रीमियम के मद में 10 लाख रुपये भुगतान किया था। 2019 में वह पॉलिसी सरेंडर कर देता है और बीमा कंपनी उसे 15 लाख रुपये देती है। चूंकि, यहां सालाना प्रीमियम बीमित राशि का 10 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, इसलिए बीमा कंपनी को कुल भुगतान पर कर काटना होगा। अगर आय दूसरे स्रोतों से प्राप्त होती है तो बीमा कंपनी लाभ (5 लाख रुपये) पर विदहोल्डिंग टैक्स के रूप में 5 प्रतिशत काटेगी। टीडीएस की रकम 25,000 होगी। अगर यह रकम पूंजीगत लाभ मानी जाती है तो टीडीएस की रकम बदल जाएगी। ऊपर दिए उदाहरण में पॉलिसी रखने की अवधि 36 महीने से अधिक है। निवेशक को इंडेक्सेशन (महंगाई के अनुसार समायोजन) का लाभ मिल सकता है। दीर्घ अवधि का पूंजीगत लाभ 1,86,364 रुपये और बजट प्रस्ताव के अनुसार टीडीएस 9,350 रुपये होगी।
न्यायालय के आदेशों में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति पॉलिसी सरेंडर करता है तो प्राप्त होने वाली रकम पूंजीगत लाभ मानी जाएगी। पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर एवं लीडर (पर्सनल टैक्स) कुलदीप कुमार कहते हैं, 'अगर विभाग यह स्पष्ट करता है कि मौजूदा विभिन्न परिभाषाओं के बीच लाभ पर कैसे कर लगेगा तो अच्छी बात होगी। ऐसा नहीं होने पर कानूनी विवाद बढ़ सकते हैं।' चड्ढा के अनुसार आय की श्रेणी पर विचार करने के लिए बीमा पॉलिसियों की प्रवृत्ति समझनी होगी। अधिक प्रीमियम और कम से कम जोखिम के साथ निश्चित रिटर्न देने वाली पॉलिसियों से प्राप्त राशि अन्य स्रोत से आय मानी जाएगी और उसी हिसाब से इस पर कर लगाया जाएगा। मार्केट-लिंक्ड प्लान के मामले में लाभ या हानि की तुलना म्युचुअल फंड यूनिट या शेयरों में हुए नफा-नुकसान से की जाएगी। इस लिहाज से रकम पूंजीगत लाभ की श्रेणी में रखी जाती है। इस मामले में इंडेक्सेशन (महंगाई के साथ समायोजन) का लाभ लिया जा सकता है।
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