► इन नियमों से बैंक निदेशकों की नियुक्ति प्रक्रिया होगी दुरुस्त ► निदेशकों की विशेषज्ञता और उनकी पात्रता सीमा की होगी समीक्षा ► नामांकित समिति की भूमिका और इसके जुड़ाव की शर्तें होगी सख्त ► संभावित निदेशको के बारे में सेबी, आईआरडीआई और कंपनी मामलों के मंत्रालय के आदेशों पर करीबी नजर ► स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका को किया जाएगा दुरुस्त
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों के बोर्ड में बेदाग छवि के निदेशकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए नए दिशानिर्देश बनाएगा। इससे पहले नवंबर 2007 में इनकी व्यापक समीक्षा की गई थी। नए दिशानिर्देशों से सरकारी और निजी बैंकों के बोर्ड में निदेशकों की नियुक्ति की प्रक्रिया दुरुस्त होने की उम्मीद है। साथ ही विशेषज्ञ क्षेत्रों को भी ध्यान में रखा जाएगा जहां से भावी निदेशकों की नियुक्ति होनी है। उनकी पात्रता शर्तों, नामांकन समिति की भूमिका और इसके जुड़ाव की शर्तें की भी समीक्षा होगी। इन सभी बदलावों के लिए देश में बैंकों के नियमन से संबंधित विभिन्न कानूनों की भी समीक्षा होगी। इनमें 1970 और 1980 में पारित दो बैंक राष्ट्रीयकरण अधिनियम, एसबीआई अधिनियम 1955 और नया कंपनी अधिनियम 2013 शामिल है।
भावी निदेशकों के बारे में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) और कंपनी मामलों के मंत्रालय की राय पर भी करीबी नजर रखी जाएगी। बैंकों में तमाम गड़बडिय़ों के संदर्भ में इसे अहम माना जा रहा है। कई ऐसे मामले भी आए हैं जब स्वतंत्र निदेशकों ने नियुक्ति के तुरंत बाद निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों का कहना है कि इस बारे में बैंकों के साथ औपचारिक बातचीत शुरू नहीं की गई है लेकिन आरबीआई ने इस बात का संकेत दिया है कि किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। जब आरबीआई ने पहली बार एक नवंबर, 2007 में ये निदेशकों के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए तो वे केवल सरकारी बैंकों के लिए थे। इसके बाद केंद्रीय बैंक ने 23 मई, 2011 को सरकारी और निजी बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों को भेजे पत्र में कॉलम चार (जी) को थोड़ा संशोधित कर दिया। इसमें कहा गया कि भावी निदेशकों को उनके खिलाफ जांच के बारे में साफ-साफ जानकारी देनी होगी। बैंकों के कामकाज में समस्या की एक मुख्य वजह निदेशकों की श्रेणियां हैं।
सरकारी बैंकों में निदेशकों की आठ श्रेणियां हैं। इनमें पूर्णकालिक निदेशक (सीईओ और कार्यकारी निदेशक), केंद्र सरकार के अधिकारी और इसमें नामित निदेशक (दो अलग श्रेणियां), आरबीआई निदेशक, कर्मचारियों और अधिकारियों के निदेशक (दो अलग श्रेणियां), चार्टर्ड अकाउंटेंट निदेशक और चयनित शेयरधारक निदेशक शामिल हैं। सीए और केंद्र सरकार के नामित निदेशकों को सामूहिक रूप से गैर आधिकारिक निदेशक कहा जाता है और वे अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। एसबीआई कानून में निदेशकों की सात श्रेणियां दी गई हैं जबकि निजी बैंकों के लिए पांचश्रेणियां हैं।
आरबीआई चाहता है कि उनके अधिकारी सरकारी बैंकों के बोर्ड का हिस्सा न हों। जब विमल जालान आरबीआई के गवर्नर थे तो इस पहलू पर चर्चा ने जोर पकड़ा था। कुछ सरकारी बैंकों में कर्मचारियों के निदेशक के पद पर पिछले कुछ वर्षों से नियुक्ति नहीं की गई है। केंद्रीय बैंक के इन दिशानिर्देशों की समीक्षा के पीछे कानूनी वजह भी है। उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2016 में अपने एक फैसले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 2बी और धारा 2सी (8) तथा बैंकिंग नियमन कानून की धारा 46ए का जिक्र किया था।
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