कर्नाटक में राज्य विधानसभा के 15 सदस्यों के इस्तीफों के बाद उठापटक का दौर जारी है। विधानसभा में शुक्रवार को भी शक्ति परीक्षण नहीं हो सका क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने राज्यपाल वजुभाई वाला का यह निर्देश खारिज कर दिया कि शुक्रवार शाम छह बजे तक विश्वास मत हासिल किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सोमवार को शक्ति परीक्षण कराएंगे। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख दिनेश गुंडू राव और मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में अलग याचिकाएं दायर कर इस शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने कहा कि इस आदेश से याचियों के संविधान की दसवीं अनसूची के तहत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। राव ने अपनी याचिका में कहा, 'दसवीं अनुसूची के तहत राजनीतिक दल को अपने जन प्रतिनिधियों को व्हिप जारी करने का संवैधानिक अधिकार मिला हुआ है। संविधान के तहत इस अधिकार का इस्तेमाल न तो किसी स्थिति में सीमित नहीं किया जा सकता है और न ही अदालत इसे लेकर कोई प्रतिबंधात्मक आदेश दे सकती है, व्हिप से पहले भी नहीं।' मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी अपनी याचिका में राज्यपाल वजुभाई वाला के इन निर्देशों को चुनौती दी है कि शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे तक शक्ति परीक्षण होना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया है कि जब विश्वास प्रस्ताव सदन में पहले ही आ चुका है तो राज्यपाल की तरफ से ऐसे निर्देश नहीं दिए जाने चाहिए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने 17 जुलाई को कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा देने वाले 15 विधायकों के इस्तीफों पर आवश्यक समय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उन्हें विधानसभा की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
