कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव पर बहस शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई है। गुरुवार को पूरे दिन सदन में खूब नाटक देखने को मिला। इसमें से एक नाटक सत्तारूढ़ गठबंधन के 20 विधायकों का विधानसभा में नहीं आना भी था। इन विधायकों में से 12 वे बागी विधायक हैं, जो इस समय मुंबई के होटल में ठहरे हुए हैं। राज्यपाल वजुभाई वाला ने गुरुवार सुबह विधासभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार को सलाह दी थी कि गुरुवार शाम तक विश्वास मत की प्रक्रिया पूरी की जाए। लेकिन उनकी इस सलाह को गंभीरता से नहीं लिया गया क्योंकि विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्णा रेड्डी ने कांग्रेस विधायकों की तरफ से लगातार की जा रही नारेबाजी के बीच पूरे दिन के लिए विधानसभा स्थगित कर दी। प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की तरफ से अपनी बात रखी जानी अभी बाकी ही थी। सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य में सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है। सदन की कार्यवाही को गतिरोध के चलते दो बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा और बाद में हंगामे के चलते कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की कार्यवाही स्थगित होने से पहले, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने घोषणा की कि उनकी पार्टी के सदस्य रातभर सदन में ही रहेंगे और विश्वास प्रस्ताव पर फैसला होने तक सदन में ही डटे रहेंगे। येदियुरप्पा ने कहा, 'हम विश्वास मत के प्रस्ताव पर फैसला होने तक रुके रहेंगे। उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर ठीक तरह से 15 मिनट भी चर्चा नहीं हुई है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं ताकि विश्वास प्रस्ताव को टाला जा सके। उन्होंने कहा, संवैधानिक रूपरेखा का उल्लंघन हुआ है। येदियुरप्पा ने कहा, 'इसका विरोध करने के लिए हम यहां सोएंगे।' सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब कांग्रेस के एक अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल सदन से गैर-हाजिर दिखे।
