एस्सेल की म्युचुअल फंड इकाई खरीदेंगे सचिन बंसल! | जश कृपलानी / मुंबई July 18, 2019 | | | | |
फ्लिपकार्ट के पूर्व सह-संस्थापक सचिन बंसल एस्सेल समूह से उसके म्युचुअल फंड कारोबार खरीदने के लिए बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। एस्सेल फाइनैंस ने इस मसले पर कहा, हम इस समय दिलचस्पी रखने वाले कुछ पक्षकारों से बातचीत कर रहे हैं। हम अभी कोई नाम नहीं बता सकते क्योंंकि किसी सौदे को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि एस्सेल फाइनैंस के साथ पहले गैर-बाध्यकारी समझौता कर चुकी श्रेय अभी भी इस दौड़ में है, लेकिन मूल्यांकन पर मतभेद के चलते अभी तक सौदा नहीं हो पाया है। इस बारे में जानकारी के लिए सचिन बंसल को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
फ्लिपकार्ट छोडऩे के बाद बंसल ने बीएसी एक्विजिशन का गठन किया है, जिसने बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में निवेश के मौके तलाशना शुरू कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, सौदा जल्द हो सकता है क्योंंकि एस्सेल फाइनैंस ने बोलीदाताओं में से एक चुना है, जो ज्यादा अनुकूल पेशकश की इच्छा जताई है। उद्योग की कंपनियों ने कहा कि नई कंपनियां 25 लाख करोड़ वाले म्युचुअल फंड उद्योग में प्रवेश करना चाह रही हैं क्योंकि कम प्रसार के चलते यहां काफी संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में तेजी से प्रवेश का एक तरीका मौजूदा कंपनियोंं को खरीदना है।
देसी म्युचुअल फंड उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद का 11 फीसदी है। विश्लेषकों ने कहा कि अन्य उभरते देशों मसलन ब्राजील (जीडीपी का 59 फीसदी) और दक्षिण अफ्रीका (जीडीपी का 49 फीसदी) के मुकाबले भारतीय म्युचुअल फंड की जीडीपी में हिस्सेदारी काफी कम है। थोड़े समय तक मंदी के बाद इक्विटी निवेश शुरू हो गया है, जो सुधार के मजबूत संकेत दे रहा है। जून में इक्विटी निवेश माह दर माह के आधार पर 42 फीसदी उछलकर 7,663 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस बीच, म्युचुअल फंड उद्योग ने हालिया महीनों में सौदे की गतिविधियों में कुछ तेजी देखना शुरू किया है। पिछले महीने कनाडा के वित्तीय सेवा समूह मनुलाइफ ने महिंद्रा एमएफ की 49 फीसदी हिस्सेदारी 243 करोड़ रुपये में अधिग्रहीत करने का ऐलान किया था। यह सौदा महिंद्रा एमएफ का मूल्यांकन उसकी कुल परिसंपत्तियोंं के 10 फीसदी के बराबर करता है। इससे पहले निप्पॉन लाइफ ने एमएफ कारोबार में रिलायंस कैपिटल की 42.8 फीसदी हिस्सेदारी लेने पर सहमति जताई थी।
यह सौदा अनिल अंबानी समूह की परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना का हिस्सा है। एस्सेल समूह भी अपने गैर-प्रमुख कारोबारों से बाहर निकलकर और प्रमुख कारोबारों मसलन मुख्य कंपनी ज़ी एंटरटेनमेंट में रणनीतिक निवेश के जरिए अपनी नकदी की स्थिति में सुधार करना चाह रहा है।
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