बीएचईएल की बढ़ रही चुनौती | श्रेया जय / नई दिल्ली July 15, 2019 | | | | |
देश में ताप विद्युत इकाइयों के तौर पर कभी एकाधिकार रखने वाली बीएचईएल लिमिटेड को अब अपनी बाजार भागीदारी बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। विद्युत क्षेत्र में मंदी और विविधीकरण में विलंब से कंपनी पर दबाव बना हुआ है। वित्त वर्ष 2018-19 में राजस्व घटकर 34,600 करोड़ रुपये रह गया, हालांकि यह वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2015-16 में बीएचईएल ने अपने इतिहास में सबसे ज्यादा वित्तीय नुकसान दर्ज किया था। वित्त वर्ष 2016 की पहली तिमाही में कंपनी को 1,477 करोड़ रुपये का शुद्घ नुकसान हुआ था।
बीएचईएल ने नए क्षेत्रों में प्रवेश किया है और बढ़ते नुकसान की वजह से उसने अब सौर, रेलवे, और रक्षा उपकरण व्यवसाय पर ध्यान दिया है। सोमवार को कंपनी ने हरिद्वार में रेल-आधारित लॉजिस्टिक टर्मिनल तैयार करने के लिए कंटेनर कॉरपोरेशन (कॉनकोर) के साथ समझौता किया। लेकिन नए व्यवसायों ने मुश्किल से 10,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर जोड़े, जो उसकी कुल ऑर्डर बुक का 20 प्रतिशत भी नहीं है। आईडीएफसी रिसर्च द्वारा किए गए एक विश्लेषण में कहा गया है कि पिछले साल इस सेगमेंट से महज 5,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले। बीएचईएल की ऑर्डर बुक पिछले चार वित्त वर्षों से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये पर ठहरी हुई है। नए ऑर्डरों की भागीदारी वित्त वर्ष 2019 में पिछले साल के मुकाबले 70 प्रतिशत तक और वित्त वर्ष 2016 के मुकाबले 45 प्रतिशत तक घटी है। आईडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा है, 'बीएचईएल ने नए व्यवसायों में देर से प्रवेश किया है और इन व्यवसायों में बड़ी कंपनियां पहले से ही मौजूद हैं।' कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया हासिल नहीं की जा सकी है।
एनटीपीसी को छोड़कर बीएचईएल के परंपरागत उत्पाद बॉयलर टर्बाइन जेनरेटर (बीटीजी) के लिए भी निजी स्वामित्व वाली इकाइयों से कोई नए ऑर्डर नहीं मिले हैं। असलियत तो यह है कि निजी क्षेत्र बीएचईएल के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इस दशक में करीब दर्जन भर बिजली संयंत्रों के ठेके निजी क्षेत्र को दिए गए हैं जहां पर बीएचईएल को बीटीजी की आपूर्ति करनी है। लेकिन इन संयंत्रों का परिचालन शुरू हो पाने की कोई निश्चितता नहीं है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुताबिक इनमें से आधी परियोजनाएं तो अब एनपीए बन चुकी हैं और दिवालिया घोषित होने के करीब पहुंच चुकी हैं।
अभी तक बीएचईएल ने विसा पावर से अपने बकाये की वसूली के लिए केवल एक परिसंपत्ति की बिक्री की अर्जी एनसीएलटी में लगाई है। बीएचईएल और एलऐंडटी ने इस संपत्ति के ऋणशोधन के लिए नियुक्त दिवालिया पेशेवर से कहा है कि वे परिचालन लेनदार के तौर पर इस कंपनी से 20 अरब रुपये का अपना बकाया वसूलना चाहती हैं। बीएचईएल के शेयरों के भाव लगातार गिर रहे हैं जो शेयरधारकों के लिए चिंता का सबब हैं। वर्ष 2010 में 2410 रुपये के भाव पर रहा शेयर आज के समय में 65 रुपये के भाव तक लुढ़क चुका है। गत पांच वर्षों में सरकारी खजाने में कंपनी का अंशदान भी घटकर 2017-18 में 2908 करोड़ रुपये पर आ गया।
बीएचईएल ने थर्मल पावर स्टेशनों में अनिवार्य रूप से इस्तेमाल होने वाली नई उत्सर्जन नियंत्रण तकनीक एफजीडी का भी उत्पादन शुरू किया हुआ है। कंपनी एनटीपीसी से मिले एफजीडी ठेकों को पूरा करने में लगी हुई है। लेकिन बाजार विश्लेषक बीएचईएल पर अब भी दांव लगाने को तैयार हैं। इंडिया रेटिंग्स ने नवंबर 2018 में कहा था कि बीएचईएल ने धीमी गति की कुछ परियोजनाओं का बोझ कम किया है लेकिन उसे भारी कर्ज वाले निवेश एवं बड़े अधिग्रहण से परहेज करना होगा।
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