गंगवाल से जवाब मांगेगा इंडिगो बोर्ड | |
19 जुलाई की बोर्ड बैठक में कारोबार संचालन के आरोपों पर मांगेगा स्पष्टीकरण | देव चटर्जी और अरिंदम मजूमदार / मुंबई/नई दिल्ली 07 15, 2019 | | | | |
► गंगवाल ने कहा, इंडिगो के स्वतंत्र निदेशक स्वतंत्र फैसले लेने में नाकाम रहे
► बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की कमी, एक भी महिला निदेशक नहीं
► गंगवाल के व्यक्तिगत खर्चों की हो सकती है जांच
विमानन कंपनी इंडिगो का परिचालन करने वाली इंटरग्लोब एविशन कंपनी का निदेशक मंडल 19 जुलाई को प्रस्तावित बैठक में सह-प्रवर्तक राकेश गंगवाल से उनके आरोपों पर स्पष्टïीकरण मांगेगा। गंगवाल ने आरोप लगाया है कि स्वतंत्र निदेशक कारोबारी संचालन में गड़बड़ी पर 'स्वतंत्र' निर्णय लेने में नाकाम रहे हैं। इंडिगो के निदेशक मंडल के चेयरमैन स्वतंत्र निदेशक एम दामोदरन हैं, जो भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व चेयरमैन रहे हैं। इसके साथ ही अर्थशास्त्री अनुपम खन्ना भी कंपनी में स्वतंत्र निदेशक हैं।
निदेशक मंडल की बैठक 19 जुलाई को होगी जिसमें जून तिमाही के नतीजों पर भी विचार किया जाएगा। सह-संस्थापकों गंगवाल और राहुल भाटिया के अलावा बोर्ड में रोहिणी भाटिया और अनिल पाराशर भी शामिल हैं। निदेशक मंडल गंगवाल से यह भी पूछ सकता है कि विवाद को सार्वजनिक करने के बजाय, उन्होंने बोर्ड स्तर पर उसे सुलझाने की कोशिश क्यों नहीं की?
गंगवाल के एक करीबी ने कहा कि अगर बोर्ड इन मसलों को उठाता है तो उसका जवाब यह हो सकता है कि ऐसा कंपनी में कारोबार संचालन में सुधार लाने के मकसद से किया गया है। उक्त शख्स ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं कि शेयरधारकों के मूल्यों में गिरावट आई है और 37 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले गंगवाल तथा उनके परिवार को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा है। लेकिन गंगवाल की ओर से उठाए गए मुख्य मुद्दे पर इंटरग्लोब एंटरप्राइेजज की ओर से कोई सार्थक जवाब नहीं दिया गया।' सेबी को 8 जुलाई को लिखे पत्र में गंगवाल ने आरोप लगाया था कि इंडिगो आचार संहिता और संचालन मानदंडों का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने भाटिया द्वारा तीसरे पक्ष के साथ किए गए लेनदेन पर भी सवाल उठाए हैं।
शेयरधारकों के मूल्यों में ह्रïास के लिए सेबी के नियमन के तहत जुर्माना लगाने भी प्रावधान है, वहीं कारोबारी संचालन में गड़बड़ी की रिपोर्ट देने वाले व्हिसलब्लोअर को भी पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कर सकता है। उक्त शख्स ने पूछा, 'अगर निदेशक मंडल कहता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि इससे निकट अवधि में शेयर भाव पर असर पड़ा है, तो इसका मतलब यह है कि कारोबारी संचालन को लेकर किसी को भी सवाल नहीं उठाने चाहिए क्योंकि इससे शेयर भाव पर असर पड़ेगा?' गंगवाल खेमे के लोगों ने कहा, 'अगर गड़बड़ी को संगठन के अंदर ढका-छिपाया जाए तो इससे ब्रांड के साथ ही वित्तीय नुकसान पहुंच सकता है।'
गंगवाल ने पिछले हफ्ते बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा था कि उन्होंने सेबी को संगठन के अंतर्नियमों के प्रावधान में बदलाव के लिए लिखा है, क्योंकि बराबर हिस्सेदारी होने के बावजूद उन्हें आईजीई समूह की कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी, अध्यक्ष और चेयरमैन के पक्ष में मत देने की बाध्यता होती है। गगंगवाल ने कहा था, 'मैं इस प्रावधान को लेकर सहज नहीं हूं। मैं इसमें बदलाव चाहता हूं।' हालांकि आईजीई समूह ने आज एक बयान में कहा कि इंडिगो की स्थापना के समय गंगवाल केवल 15 करोड़ रुपये तक का ही वित्तीय जोखिम लेना चाहते थे।
यही वजह है कि आईजीई समूह को ये अधिकार दिए गए थे। समूह ने कहा कि राहुल और उनके पिता कपिल भाटिया ने इंडिगो में अधिकांश निवेश किया था और कंपनी को व्यक्तिगत ऋण दिया था। साथ ही उन्होंने आपूर्ति पूर्व भुगतान, विमान खरीदने और क्रियाशील पूंजी जैसी इंडिगो की विभिन्न वित्त पोषण जरूरतों के लिए बैंकों को व्यक्तिगत गारंटी दी।
आईजीई ने कहा, '2009-10 तक आईजीई, कपिल और राहुल भाटिया का कुल निवेश 1,100 करोड़ रुपये से अधिक था जबकि गंगवाल का निवेश 15 करोड़ रुपये से भी कम था।'बोर्ड इस बात पर भी फैसला करेगा कि गंगवाल के व्यक्तिगत खर्चों का बाहर से ऑडिट कराया जाए या नहीं। इन खर्चों को कंपनी ने वहन किया है। भाटिया ने कंपनी के निदेशक मंडल को 12 जून को जो पत्र लिखा था, उसमें गंगवाल के अमेरिका में टैक्स रिटर्न भरने के खर्चों का जिक्र है। ये खर्च इंडिगो ने वहन किए थे। भाटिया ने कहा, 'गंगवाल चाहते हैं कि अमेरिका में उनके टैक्स रिटर्न भरने का खर्च कंपनी वहन करे। यह बेतुका मांग है।'
गंगवाल के एक करीबी सूत्र ने कहा कि अगर किसी अमेरिकी नागरिक की विदेश में किसी कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी है तो वह अपने खर्च की प्रतिपूर्ति का हकदार है और यह दो प्रवर्तकों के बीच हुए शेयरधारक समझौते का भी हिस्सा है। नियमों के मुताबिक अमेरिकी नागरिक को वहां के अकाउंटिंग मानकों के मुताबिक वित्तीय जानकारी देनी होती है। सूत्र ने कहा, 'शेयरधारक समझौते के मुताबिक कंपनी को 2019 तक यह सुविधा देनी है। अगर वे इसे नहीं बढ़ाना चाहते हैं तो अच्छी बात है। रिटर्न दाखिल करते समय कहा जा सकता है कि कंपनी ने जरूरी आंकड़े देने से इनकार कर दिया। इससे गंगवाल का थोड़ा खर्चा होगा लेकिन यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।'
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