पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने कुछ अरसा पहले एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके बाद राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में निवेश करते समय केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अधिक विकल्प मिलने लगे हैं। पहले सरकार तय करती थी कि कर्मचारियों के पेंशन कोष की रकम कहां निवेश की जाए, लेकिन अब कर्मचारियों को यह तय करने का अधिकार मिल गया है कि उनका धन कहां और कैसे लगाया जाएगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पास अब पेंशन कोष प्रबंधकों (पीएफएम) की बड़ी फेहरिस्त होगी, जिसमें से वे अपना प्रबंधक चुनेंगे। पहले उनकी पेंशन की रकम को सार्वजनिक क्षेत्र के तीन पेंशन कोष प्रबंधकों - एलआईसी, एसबीआई और यूटीआई में बांट दिया जाता था। लेकिन अब उनके पास आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, कोटक, रिलायंस और बिड़ला जैसे निजी क्षेत्र के पेंशन कोष प्रबंधक भी हैं। कर्मचारियों को साल में एक बार कोष प्रबंधक बदलने का मौका भी मिलेगा। पेंशन की रकम को निवेश करने का तरीका क्या हो, यह तय करने में भी केंद्रीय कर्मचारियों की बात ज्यादा मानी जाएगी। पहले उनकी रकम निवेश करने का निश्चित तरीका था। 15 फीसदी रकम इक्विटी में लगाई जाती थी और बाकी रकम डेट योजनाओं में डाल दी जाती थी। अब सुरक्षित दांव लगाने में यकीन करने वाले निवेशक को पहले से चल रहे निवेश आवंटन को ही जारी रखने का मौका होगा। जो लोग निवेश की सुरक्षा पर जरूरत से ज्यादा जोर देते हैं, उन्हें समूची रकम सरकारी प्रतिभूतियों में लगाने का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा उन्हें दो और विकल्प मिलेंगे, जिनकी मदद से वे इक्विटी में अपना निवेश बढ़ा सकेंगे। कंजरवेटिव लाइफ साइकल (एलसी25) फंड में उन्हें अधिकतम 25 फीसदी तक इक्विटी निवेश करने की इजाजत दी जाएगी। मॉडरेट लाइफ साइकल (एलसी50) फंड में कर्मचारी 50 फीसदी तक रकम इक्विटी में लगा सकते हैं। जैसे-जैसे कर्मचारी सेवानिवृत्ति के करीब बढ़ेगा, दोनों ही विकल्पों में उसका इक्विटी में निवेश कम होता जाएगा। कर्मचारियों को हर साल दो बार अपना निवेश का तरीका बदलने का मौका मिलेगा। लेकिन इतने बदलाव होने के बाद भी केंद्र सरकार के कर्मचारी सभी नागरिकों के लिए चल रही एनपीएस योजना और कंपनियों की एनपीएस योजना जैसे फायदे हासिल नहीं कर सकेंगे। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार पर्सनल फाइनैंसप्लान डॉट इन के संस्थापक दीपेश राघव समझाते हैं, 'इन निवेशकों के लिए एक और लाइफ साइकल फंड एलसी75 की सुविधा है, जिसमें इक्विटी निवेश 75 फीसदी तक जा सकता है। इसके अलावा उनके पास एक्टिव चॉइस विकल्प भी है, जिसमें वे खुद ही संपत्ति आवंटन का तरीका चुन सकते हैं। यदि वे चाहें तो 50 साल की उम्र तक 75 फीसदी निवेश इक्विटी में ही रखें, लेकिन उसके बाद 60 साल की उम्र तक 50 फीसदी रकम ही इक्विटी में लगाई जा सकेगी।' केंद्र सरकार के जिन कर्मचारियों की उम्र अभी कम है, उन्हें इक्विटी में अपना निवेश बढ़ाना चाहिए। एचडीएफसी पेंशन फंड मैनेजमेंट के मुख्य कार्य अधिकारी सुमित शुक्ला की सलाह है, 'उन्हें एलसी50 चुनना चाहिए, जिसमें ज्यादा से ज्यादा 50 फीसदी तक रकम इक्विटी में लगाई जा सकती है। कम उम्र में इक्विटी में अधिक निवेश किया जाए तो सेवानिवृत्ति के बाद ज्यादा रकम तैयार हो सकती है।' सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बड़ा हिस्सा मूल वेतन का होता है। उनके मूल वेतन का 10 फीसदी अंश पेंशन कोष में जाता है और 14 फीसदी योगदान सरकार करती है। कुन मिलाकर उनके मूल वेतन का 24 फीसदी हिस्सा हर महीने पेंशन कोष में जाता है। राघव कहते हैं, 'उनकी मासिक बचत और निवेश में एनपीएस निवेश की अच्छी खासी हिस्सेदारी होगीी। इसका बड़ा हिस्सा इक्विटी में लगाया जाना चाहिए ताकि सेवानिवृत्ति के बाद वे आराम की जिंदगी बिता सकें।' चूंकि सभी केंद्रीय कर्मचारियों की एनपीएस राशि 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है, इसलिए संपत्ति आवंटन में एकाएक बदलाव से बाजारों पर असर पड़ सकता है। इसलिए पुराना निवेश पहले की तरह ही रहेगा। नया निवेश नए तरीके से और कर्मचारी द्वारा चुने गए पेंशन कोष प्रबंधक के हिसाब से होगा। यदि आप कोष प्रबंधक बदलना चाहते हैं तो उस ब्रांड को चुनें, जिस पर आपको भरोसा है। राघव का मशविरा है, 'जरूरी नहीं कि पहले मिले प्रतिफल को देखकर पेंशन कोष प्रबंधक चुनना सही हो क्योंकि हर साल प्रदर्शन बदल सकता है।' यदि फैसला इसी आधार पर करना है तो उसे चुनिए, जिसने इक्विटी में सबसे उम्दा प्रदर्शन किया हो क्योंकि डेट में सबसे अच्छे प्रदर्शन और सामान्य प्रदर्शन में बहुत फर्क नहीं होता।
