मुंबई, कोलकाता में आवास के दाम घटे | पुनीत वाधवा / नई दिल्ली July 09, 2019 | | | | |
वित्तीय क्षेत्र में नकदी की कमी का असर रियल एस्टेट कारोबार पर पड़ा है। वर्ष 2019 की पहली छमाही में खासकर गैर बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नकदी संकट के कारण तमाम शहरों में आवासीय मकानों के दाम कम हुए हैं। दरअसल ज्यादातर शहरों में कीमतों में बदलाव/पूंजी में बढ़ोतरी महंगाई दर को पीछे छोडऩे में सफल नहीं हुआ। साल 2019 की पहली छमाही में मुंबई, पुणे, चेन्नई और कोलकाता में आवासीय संपत्तियों के दाम में क्रमश: 3 प्रतिशत, 4 प्रतिशत, 3 प्रतिशत और 2 प्रतिशत की गिरावट आई है। बेंगलूरु, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), हैदराबाद और अहमदाबाद मेंं इस अवधि के दौरान दाम बढ़े हैं।
नाइट फ्रैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, 'पिछले 4 साल के दौरान भारत के 8 प्रमुख शहरों में आवासीय संपत्तियों के दाम में बढ़ोतरी खुदरा महंगाई दर में वृद्धि से कम रही है। यह अंतर 2016 की पहली छमाही से बढ़ रहा है। इसकी वजह से अंतिम उपभोक्ताओं की आवास क्षेत्र में दिलचस्पी बनी रही और नई पेशकश की तुलना में बिक्री में कमी को रोकने में मदद मिली है। हैदराबाद एकमात्र बाजार है, जिसने आम धारणा के विपरीत परिणाम दिए और यहां खुदरा महंगाई दर की तुलना में कीमतों में वृद्धि ज्यादा रही है।'
यह परिणाम नाइट फ्रैंक की भारत की रियल एस्टेट की समीक्षा रिपोर्ट में सामने आया है, जो जनवरी-जून 2019 के लिए है। इस रिपोर्ट में देश के 8 प्रमुख शहरों में मांग, आपूर्ति और आवासीय व कार्यालय की संपत्ति के दाम के आंकड़े लिए गए हैं, जिनमें दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद शामिल हैं। नाइट फ्रैंक में उत्तरी क्षेत्र के कार्यकारी निदेशक मुदासिर जैदी ने कहा, 'आईएलऐंडएफएस संकट के बाद नकदी की कमी शुरू हुई। इसकी वजह से रियल एस्टेट में कुल मिलाकर धारणा प्रभावित हुई और अभी भी तेजी के संकेत नहीं मिल रहे हैं। खरीदार अभी इंतजार कर रहे हैं और ज्यादातर लोग खुद के इस्तेमाल के लिए आवास खरीद रहे हैं। इसकी वजह से कीमतों में बढ़ोतरी सामान्य है। कीमतें निचले स्तर पर पहुंच गई हैं और अभी कुछ तेजी आने में 2 से 3 साल का वक्त लगेगा।' वहीं इस दौरान कार्यालय की संपत्ति का बाजार आवासीय बाजार से विपरीत रहा। इस क्षेत्र में आपूर्ति एक दशक मेंं सबसे ज्यादा 22 लाख वर्गमीटर रहा, जिसमें सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। लेन देन में भी इसी के मुताबिक तेजी आई है और यह दशक के उच्चतम स्तर 26 लाख वर्गमीटर पर पहुंच गया। आईटी और आटीईएल क्षेत्र व को वर्किंग स्पेस की मांग के कारण यह तेजी आई है।
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