वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर (एसऐंडपी) ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में 70,000 करोड़ रुपये पूंजी डालने का सरकार का फैसला बैंकिंग क्षेत्र के लिए क्रेडिट पॉजिटिव है। बहरहाल उसने कहा कि सरकारी बैंकों में प्रशासनिक सुधार बहुत लचर स्थिति में हैं। केंद्रीय बजट 2019-20 में पूंजी डालने के प्रस्ताव से सरकारी बैंकों को कमजोर कॉर्पोरेट कर्ज के मामले में आवश्यक लाभ मिलेगा और उन्हें अपनी पूंजी पर्याप्तता बढ़ाने में मदद मिलेगी। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा कि इससे कुछ बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) से बाहर आ सकते हैं और वे अपना बही खाता दुरुस्त करने के लिए कर्ज देना शुरू कर सकते हैं।बैंकों के लिए पूंजी के आवंटन और उनके वित्तपोषण का ब्योरा अभी जारी किया जाना है। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग की ज्यादातर रेटिंग वाले भारत के सरकारी बैंकों की जोखिम समायोजित पूंजी 5 से 7 प्रतिशत के बीच है और यह रेटिंग की राह में प्रमुख बाधाओं में से एक है। एजेंसी ने कहा कि पीएसबी को जोखिम प्रबंधन, सेवा की गुणवत्ता, कुछलता और उत्पाद की पेशकश में विविधता को लेकर पर्याप्त सुधार करने की जरूरत है। सरकार ने जहां पीएसबी में बड़ी पूंजी लगाई है, सुधार की दिशा में प्रगति सुस्त है। सरकार ने घोषणा की है कि पीएसबी में प्रशासन को मजबूत करने के लिए सुधार किए जाएंगे, हालांकि इसका कोई ब्योरा नहीं दिया गया है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सरकारी बैंकों द्वारा नकदी मुहैया कराए जाने के लिए सरकार की गारंटी के बारे में एसऐंडपी ने कहा है कि इससे इन संपत्तियों की मांग में बढ़ोतरी होगी। बजट के प्रस्ताव से एनबीएफसी को अपनी उच्च रेटिंग वाले संपत्तियों के खुदरा पूल को बेचने में मदद मिल सकती है, जिससे नकदी की उनकी तात्कालिक जरूरतें पूरी हो सकती हैं और संपत्ति देनदारी असंतुलन सही हो सकता है।
