सार्वजनिक शेयरधारिता : टाटा संस को मिलेंगे 57,000 करोड़ रु.
देव चटर्जी / मुंबई July 08, 2019
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में 72.05 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली टाटा संस को अनिवार्य न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियम लागू होने के बाद अतिरिक्त 57,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं क्योंकि तब उसे अपनी हिस्सेदारी घटाकर 65 फीसदी लानी होगी।
टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी विमानन, वित्तीय सेवाओं और ई-कॉमर्स उद्यम समेत विभिन्न कारोबारों में पूंजी का आवंटन अपने आंतरिक स्रोत से कर रही है और वह भी टीसीएस में अपनी संभावित हिस्सेदारी बिक्री को ध्यान में रखे बिना। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आम बजट पेश करते हुए कहा था, हमने सेबी को मौजूदा न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने पर विचार करने को कहा है। अगर बजट के प्रस्ताव का क्रियान्वयन हुआ तो टाटा संस को इस नियम का पालन करने के लिए टीसीएस की 7 फीसदी हिस्सेदारी बेचनी होगी।
समझा जाता है कि सेबी प्रवर्तकों को अपनी हिस्सेदारी घटाकर 65 फीसदी पर लाने के लिए दो से तीन साल का समय दे सकता है। सेबी इसके तौर-तरीके पर विचार कर रहा है और इस पर चर्चा पत्र जारी करेगा। एक वकील ने कहा, उच्च बाजार पूंजीकरण वाली टीसीएस जैसी कंपनी को इस नियम का अनुपालन करने के लिए ज्यादा वक्त मिल सकता है।
तब तक टाटा संस अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए देसी व अंतराष्ट्रीय बाजारों से कर्ज के जरिए रकम जुटाएगी। कंपनी को पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक से मंजूरी मिल चुकी है और इसके तहत वह विदेशी कर्ज के तौर पर 1.5 अरब डॉलर जुटाएगी, जिसकी अवधि छह साल दो महीने की होगी। आगामी महीने में टाटा संस की योजना अपनी दो विमानन कंपनियों विस्तारा व एयरएशिया इंडिया और वित्तीय सेवा कारोबारों में पूंजी निवेश करने की है। विस्तारा और एयरएशिया के लिए पूंजी का इतना आवंटन करना है कि दोनों विमानन कंपनियां अपने संयुक्त बेड़े का आकार अगले कुछ वर्षों में मौजूदा 50 विमानों से 200 विमानों पर पहुंचा दे।
फ्लिपकार्ट व एमेजॉन से मुकाबले के लिए समूह अपने नए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बड़े निवेश की योजना बना रहा है। ई-कॉमर्स कारोबार की पेशकश एक साल में हो सकती है। वित्तीय सेवा कारोबार मेंं टाटा संस पहले ही मार्च तक 2,500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है। टाटा कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज की योजना अपने उपभोक्ता उधारी व वाहन वित्त पोषण कारोबार में निवेश के लिए 1.5 अरब डॉलर जुटाने की है।
वित्त वर्ष 2018 में एकल आधार पर टाटा संस का कर्ज 27,454 करोड़ रुपये था जबकि राजस्व 28,306 करोड़ रुपये। इसका शुद्ध लाभ 873 करोड़ रुपये था। 2017-18 के आखिर में इसका शुद्ध कर्ज 18,091 करोड़ रुपये था। कंपनी ने अपनी दूरसंचार इकाई के कर्ज का भुगतान बैंकों को किया और सरकारी बकाया भी चुकाया। इस तरह से टाटा संस ने 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया। यह जानकारी एक समाचार एजेंसी की खबर से मिली।
समूह ने संकेत दिया है कि टाटा स्टील अपना कर्ज इस वित्त वर्ष के आखिर तक मौजूदा 1 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 90,000 करोड़ रुपये पर लाएगी और अगले कुछ सालों में इसे 70,000 करोड़ रुपये पर ले आएगी। टाटा संस समूह की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही है और इन कंपनियों की तरफ से राइट्स इश्यू के जरिए रकम जुटाने की योजना में हिस्सा लेने की भी टाटा संस का इरादा है।
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